सरकार फसलों पर समर्थन मूल्य बढ़ाने का ऐलान जोरशोर से करती है लेकिन ये घोषणाएं जमीन पर हवाहवाई साबित होती दिख रही हैं. दालों के फुटकर दामों में बढ़ोत्तरी के बावजूद उत्तर प्रदेश में मूंग की दाल के लिए खरीद केंद्र ही नहीं खुला है. उत्तर प्रदेश के किसानों को हजारों रुपए का घाटा लग रहा है. इसकी जीती जागती तस्वीर अलीगढ़ के टप्पल में सामने आई है. आगरा से सटा ये इलाका मूंग की खेती के लिए मशहूर है. अलीगढ़ के वैन गांव के किसान 20 दिन पहले तक दो कारणों से बहुत खुश थे, पहला कि इस साल मूंग की पैदावर अच्छी हुई है और दूसरा सरकार ने मूंग की दाल का समर्थन मूल्य 7040 से बढ़ाकर 7196 कर दिया है. लेकिन, असलियत में मूंग की फसल समर्थन मूल्य से बहुत कम यानि 5000-6000 रुपए कुंतल में बिक रही है.
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अलीगढ़ की बात करें तो, यहां में मूंग खरीदने के लिए एक भी सरकारी खरीद केंद्र नहीं है. आढ़ती समर्थन मूल्य से कम दाम पर किसानों की मूंग खरीद रहे हैं. किसान जयवीर ने 15 दिन पहले ही अपना 50 कुंतल मूंग एक आढ़ती को 5200 रुपए में बेचा है. अब तीन कुंतल मूंग वे फिर बेचना चाह रहे हैं. इसके लिए जब उन्होंने आढ़ती से बात की तो आढ़ती ने उन्हें 6000 रुपए कीमत बताई. जयवीर ने जब पिछले सौदे की बात को आढ़ती ने कहा कि अब दाम यही है.
बता दें कि मूंग की फसल किसान ज्यादा देर तक रख नहीं सकते. किसानों को मूंग बेचकर धान की फसल में लागत लगानी होती है. वहीं, बारिश के मौसस में मूंग में कीड़े लगने की संभावना ज्यादा होती है. यही कारण है कि किसानों को मूंग की फसल जल्द से जल्द बेचनी होती है.
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गौर करने वाली बात यह है कि बीते एक साल में मूंग की दाल के दाम में 110 रुपए से 120-130 रुपए, यानि 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. दाम को कम करने के लिए दालों का आयात तक करना पड़ रहा है. इसके बावजूद पूरे उत्तर प्रदेश में दाल की खरीद के लिए एक भी बिक्री केंद्र नहीं है. नेफेड के डायरेक्टर अशोक ठाकुर कहते हैं कि मध्यप्रदेश में ही मूंग की सरकारी खरीद हो रही है.