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This Article is From Feb 17, 2024

बारामती सीट पर बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ अजित पवार ने बजाया चुनावी बिगुल

अजित पवार ने अपने बयान में कहा, महाराष्ट्र में चुनाव शुरू होने के बाद से आज तक बारामती के इतिहास में यहां के सर्वोच्च प्रत्याशी के खिलाफ बाकी सभी प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई है.

बारामती सीट पर बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ अजित पवार ने बजाया चुनावी बिगुल
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले ही बहन सुप्रिया सुले की लोकसभा सीट पर उनके खिलाफ चुनावी बिगुल बजा दिया है. अजित पवार ने अपने एक बयान में कहा कि लोकसभा चुनाव में उनके प्रत्याशी के जीतने पर वह बारामती से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और अब यह जनता को तय करना है कि वो बारामती में भावनात्मक मुद्दों पर वोट करना चाहती है या फिर अपने क्षेत्र में विकास चाहती है. 

अजित पवार ने अपने बयान में कहा, महाराष्ट्र में चुनाव शुरू होने के बाद से आज तक बारामती के इतिहास में यहां के सर्वोच्च प्रत्याशी के खिलाफ बाकी सभी प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई है. और मुझे इस बात का अभिमान है. आने वाले लोकसभा चुनाव में हम जिस भी उम्मीदवार को खड़ा करेंगे आप उसे लोकसभा में जिताइए. अगर आप हमारे उम्मीदवार को जितवाएंगे तभी मैं यहां से विधानसभा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ूंगा.

आप सभी का मेरे प्रति जो उत्साहत है उसे आप इलेक्ट्रिक वोटिंग मशीन में भी दिखने दीजिए. आने वाले समय में कई लोग आपके पास आएंगे और भावनात्मक मुद्दों पर वोट मांगेंगे लेकिन आपको यह तय करना है कि आप भावनात्मक मुद्दों पर वोट करेंगे या विकास के कामों को जारी रखने के लिए और आने वाली पीढ़ी के भले के लिए वोट करेंगे. 

गौरतलब है कि बारामती में अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के प्रचार का रथ भी घूमने लग गया है. इसलिए बहुत उम्मीद है कि सुप्रिया सुले के खिलाफ अजित पवार सुनेत्रा पवार को लोकसभा में अपना उम्मीदवार बना सकते हैं. बता दें कि बारामती, पवार परिवार की पारंपरिक सीट और गढ़ है. लेकिन बदलते राजनीतिक समीकरण में अब पवार विरुद्ध पवार होने जा रहा है. वर्तमान में सुप्रिया सुले बारामती से सांसद हैं.

अजित गुट के नाम हुआ पार्टी का नाम और चिन्ह 

चुनाव आयोग ने शरद पवार बनाम अजित पवार गुट मामले में 147 पेजों का आदेश दिया है. आयोग ने सभी दस्तावेजी सबूतों का विश्लेषण कर कहा है कि इससे स्पष्ट है कि अजित गुट का पार्टी और पार्टी के अलावा संगठन पर वर्चस्व है. इस वजह से पार्टी का नाम और निशान दोनों ही अजित को दे दिया गया है. 

आयोग द्वारा आए इस फैसले के बाद अब शरद पवार के पास सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देने का विकल्प है. शरद गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड समेत कई नेता ये बात कह चुके हैं. सुप्रिया सुले ने भी ऐसा ही बयान दिया है. 

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