नई दिल्ली:
AIPMT के मुद्दे पर सीबीएसई फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर कहा है कि चार हफ्ते के भीतर ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट यानि AIPMT की दोबारा परीक्षा कराना संभव नहीं है। लिहाजा, इसके लिए उसे तीन महीने का वक्त और दिया जाना चाहिए।
न्यायालय शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करेगा। सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने उच्चतम अदालत से कहा कि सीबीएसई को 7 अन्य परीक्षाएं भी करानी हैं। ऐसे में इस परीक्षा को दोबारा कराने के लिए तीन महीने का वक्त लग जाएगा। हालांकि कोर्ट के आदेशों में संशोधन की याचिका नहीं दी गई है।
इससे पहले बीते 15 जून को सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट यानि AIPMT की परीक्षा रद्द करते हुए सीबीएसई को निर्देश दिया था कि वह चार हफ्ते में दोबारा परीक्षा कराए। साथ ही इससे संबंधित सभी संस्थानों से गया कि वे सीबीएसई को दोबारा परीक्षा आयोजित कराने में मदद करें।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ये परीक्षा संदेह के घेरे में आ गई है। परीक्षा आयोजित कराने वाले सभी संस्थानों के लिए जरूरी है कि वो इस मामले में सुरक्षित प्रणाली अपनाकर जनता और छात्रों में भरोसा पैदा करे। यह परीक्षा भविष्य में बनने वाले डॉक्टरों से जुड़ी है, जो जनता के स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे, इस मामले में उनकी योग्यता के साथ समझौता नहीं हो सकता।
कोर्ट ने कहा था , हम जानते हैं कि इस फैसले से परीक्षा कराने वालों को परेशानी होगी और कुछ वक्त भी लगेगा, लेकिन परीक्षा की मान्यता, विश्वसनीयता और सही छात्रों के लिए ये कीमत कुछ भी नहीं है।
दरअसल, 3722 सीटों के लिए बीते 3 मई को 6.3 लाख छात्र परीक्षा में बैठे थे। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब हरियाणा के रोहतक में पुलिस ने कुछ लोगों को आंसर शीट के साथ गिरफ़्तार किया। इसके बाद कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर परीक्षा दोबारा कराए जाने की मांग की थी।
न्यायालय शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करेगा। सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने उच्चतम अदालत से कहा कि सीबीएसई को 7 अन्य परीक्षाएं भी करानी हैं। ऐसे में इस परीक्षा को दोबारा कराने के लिए तीन महीने का वक्त लग जाएगा। हालांकि कोर्ट के आदेशों में संशोधन की याचिका नहीं दी गई है।
इससे पहले बीते 15 जून को सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट यानि AIPMT की परीक्षा रद्द करते हुए सीबीएसई को निर्देश दिया था कि वह चार हफ्ते में दोबारा परीक्षा कराए। साथ ही इससे संबंधित सभी संस्थानों से गया कि वे सीबीएसई को दोबारा परीक्षा आयोजित कराने में मदद करें।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ये परीक्षा संदेह के घेरे में आ गई है। परीक्षा आयोजित कराने वाले सभी संस्थानों के लिए जरूरी है कि वो इस मामले में सुरक्षित प्रणाली अपनाकर जनता और छात्रों में भरोसा पैदा करे। यह परीक्षा भविष्य में बनने वाले डॉक्टरों से जुड़ी है, जो जनता के स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे, इस मामले में उनकी योग्यता के साथ समझौता नहीं हो सकता।
कोर्ट ने कहा था , हम जानते हैं कि इस फैसले से परीक्षा कराने वालों को परेशानी होगी और कुछ वक्त भी लगेगा, लेकिन परीक्षा की मान्यता, विश्वसनीयता और सही छात्रों के लिए ये कीमत कुछ भी नहीं है।
दरअसल, 3722 सीटों के लिए बीते 3 मई को 6.3 लाख छात्र परीक्षा में बैठे थे। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब हरियाणा के रोहतक में पुलिस ने कुछ लोगों को आंसर शीट के साथ गिरफ़्तार किया। इसके बाद कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर परीक्षा दोबारा कराए जाने की मांग की थी।
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