कृषि मंत्रालय ने पहले के बयान से लिया यू-टर्न.
नई दिल्ली:
खेती और किसानों पर नोटबंदी (Demonetization) के असर को लेकर अपने पहले के रुख पर कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) ने यू-टर्न ले लिया है. मंत्रालय ने जो नया बैकग्राउंड नोट पेश किया है, उसमें दावा किया गया है कि नोटबंदी का खेती सेक्टर पर अच्छा असर पड़ा. नोट के अनुसार बीज की बिक्री बढ़ी, खाद की बिक्री में इज़ाफ़ा हुआ और 2016 में रबी का रकबा भी बढ़ा. सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने वित्त पर स्थायी समिति को सूचित किया है कि डाटा तैयार करने में गलती की वजह से पहले नोट में गड़बड़ी हुई. बता दें कि पहले के नोट में कहा गया था नोटबंदी की वजह से खेती सेक्टर में नकदी की कमी आई और कई किसान बीजे और खाद खरीदने में नाकाम रहे.
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बता दें कि हाल ही में कृषि मंत्रालय ने वित्तीय मामलों की संसदीय समिति के सामने यह बात मानी थी कि नोटबंदी का किसानों पर बुरा असर पड़ा है. पहले के नोट में कहा गया था कि नोटबंदी के बाद नगदी की कमी की वजह से ग्रामीण भारत में हताशा के हालात पैदा हुए. बैकग्राउंड नोट के मुताबिक बहुत सारे किसान बीज और खाद नहीं खरीद सके. 2016 में रबी की फसल पर इसका बुरा असर पड़ा, लेकिन अब कृषि मंत्रालय ने इस बात से यूटर्न लेते हुए नया नोट जारी किया है.
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कृषि मंत्रालय के पहले के बयान के बाद राहुल गांधी ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा था. राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, 'नोटबंदी ने करोड़ों किसानों का जीवन नष्ट कर दिया है. अब उनके पास बीज-खाद खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा भी नहीं है, लेकिन आज भी मोदी जी हमारे किसानों के दुर्भाग्य का मज़ाक उड़ाते हैं अब उनका कृषि मंत्रालय भी कहता है नोटबंदी से टूटी किसानों की कमर."
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हालांकि यह खबर आने के बाद कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने इसे ख़ारिज करते हुए ट्वीट किया था, 'कुछ मीडिया चैनलों और समाचार पत्रों द्वारा यह ख़बर चलाई जा रही है कि कृषि विभाग ने यह माना है कि किसानों पर नोटबंदी का बुरा असर पड़ा था और किसान कैश की क़िल्लत के कारण बीज नहीं ख़रीद पाए थे. यह वास्तविक तथ्यों के बिल्कुल विपरीत है.'
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