मणिपुर में जातीय संघर्ष के चलते दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न और उन्हें नग्न घुमाने के वीडियो पर फैले आक्रोश के बीच सरकारी एजेंसियों और सुरक्षा बलों ने राज्य में सभी घटनाओं की जांच बढ़ा दी है. आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को एनडीटीवी को यह जानकारी दी. तीन मई से शुरू हुई हिंसक झड़पों के बाद एजेंसियों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी निगरानी कड़ी कर दी है. अब तक 6,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से अधिकांश आगजनी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से संबंधित हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, "जैसा कि हमने अपने निगरानी प्रयासों को बढ़ा दिया है, हम कई संभावित भड़काऊ दावों को बढ़ने से पहले ही खारिज करने में सफल रहे हैं."
इस रणनीति का उद्देश्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर विशेष ध्यान देने के साथ गलत सूचना के प्रसार को रोकना है. मणिपुर में इस तरह की कथित घटनाओं में वृद्धि देखी गई है. कार्रवाई से पहले फुटेज की प्रामाणिकता की जांच की जा रही है.
इन अशांति के हालात के बीच स्थानीय पुलिस स्टेशनों पर संसाधनों की कमी के कारण हत्या और हमले जैसे गंभीर अपराधों की जांच में बाधा आ रही है.
एक सूत्र ने खुलासा किया, "कई पुलिस स्टेशन सीमित कर्मियों के साथ काम कर रहे हैं और कानून और व्यवस्था बनाए रखना उनका मुख्य फोकस बन गया है."
केंद्र ने इन मुद्दों, कानून और व्यवस्था की समस्याओं से निपटने में राज्य पुलिस की सहायता के लिए 135 कंपनियां भेजी हैं. कथित तौर पर स्थिति में सुधार हो रहा है. हालांकि छिटपुट घटनाएं अभी भी होती रहती हैं.
एक अधिकारी ने कहा, "मणिपुर के 16 जिलों में से आधे अभी भी समस्याग्रस्त माने जा रहे हैं. हम समय-समय पर बल को रोटेट भी कर रहे हैं."
मणिपुर में अशांति कुकी आदिवासी समूह और जातीय बहुसंख्यक मैतेई के बीच हिंसक जातीय संघर्ष से शुरू हुई. इन संघर्षों में कम से कम 125 लोगों की मौत हो गई और 40,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए.
महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और संसद में इसको लेकर बार-बार गतिरोध पैदा हुआ. केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र में हजारों अर्धसैनिक और सैन्य बलों की टुकड़ियां तैनात की हैं, लेकिन छिटपुट हिंसा जारी है, जिससे राज्य हाई अलर्ट पर है.
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