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सुप्रीम कोर्ट स्टाफ सीधी भर्ती में SC/ST कोटा के बाद OBC कोटे के लिए कवायद शुरू

अब अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए कर्मचारियों की सीधी भर्ती और पदोन्नति में आरक्षण की औपचारिक नीति अमल में आ चुकी है.

सुप्रीम कोर्ट स्टाफ सीधी भर्ती में SC/ST कोटा के बाद OBC कोटे के लिए कवायद शुरू
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट स्टाफ सीधी भर्ती में SC/ST कोटा  के बाद OBC कोटे के लिए कवायद शुरू हो गई है. रजिस्ट्री को OBC कोटा लागू करने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए गए है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट स्टाफ भर्ती में OBC कोटा लागू नहीं है. SC/ ST के 22.5 फीसदी कोटा का SC का 1995 के फैसले के तहत लागू किया गया है . जिसमें SC के लिए 15 फीसदी और ST के लिए 7.5 फीसदी आरक्षण के लिए 200 प्वाईंट रोस्टर लागू हुआ है. ये रोस्टर 23 जून से लागू किया गया है. ' 

दरअसल चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने सुप्रीम कोर्ट में रजिस्ट्रार, APS यानी अतिरिक्त निजी सचिव, कोर्ट असिस्टेंट और लॉ क्लर्क जैसे कई पदों पर अनुसूचित जाति यानी SC और जनजाति ( ST) वर्ग के उम्मीदवारों को आरक्षण के लिए व्यवस्था लागू की है. सीधी भर्ती में पदों को निर्धारित करने के लिए 200-बिंदु-रोस्टर प्रणाली लागू किए गए. 23 जून से नई व्यवस्था लागू कर दी है. हालांकि ये नीति लागू करने में सुप्रीम कोर्ट को 30 साल लग गए.

दरअसल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए सीधी भर्ती में पदों को निर्धारित करने के लिए 200-बिंदु-रोस्टर प्रणाली पर आर के सभरवाल मामले में  10 फरवरी, 1995 को 26वें CJI ए एम अहमदी के कार्यकाल के दौरान पांच जजों की पीठ ने फैसला दिया था. लेकिन इसे अब 52वें CJI जस्टिस बी आर गवई के कार्यकाल के दौरान लागू किया गया है.

अब अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए कर्मचारियों की सीधी भर्ती और पदोन्नति में आरक्षण की औपचारिक नीति अमल में आ चुकी है. CJI  गवई के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक प्रशासन में  बेहद महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में जारी सर्कुलर के अनुसार अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को 15% और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को 7.5% आरक्षण मिलेगा.

हालांकि कुल 22.5 फीसदी आरक्षण की यह नीति जजों  की नियुक्ति पर लागू नहीं होगी. इस नीति के दायरे में रजिस्ट्रार, वरिष्ठ निजी सहायक, सहायक लाइब्रेरियन, जूनियर कोर्ट असिस्टेंट, चैंबर अटेंडेंट सहित अन्य कर्मचारियों के पद हैं. नए मॉडल रोस्टर के तहत कर्मचारियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. ये हैं - अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अनारक्षित. 

CJI  ने सर्कुलर जारी करने के बाद ये भी स्पष्ट किया कि सभी सरकारी संस्थानों और कई हाईकोर्ट में पहले से ही SC और ST के लिए आरक्षण का प्रावधान है, तो सुप्रीम कोर्ट को इससे अलग क्यों रखा जाए?  हमने कई ऐतिहासिक फैसलों में सकारात्मक कार्रवाई का समर्थन किया है और एक संस्था के रूप में हमें इसे अपने यहां भी लागू करना चाहिए. इस आरक्षण नीति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के सर्कुलर में सभी कर्मचारियों और रजिस्ट्रारों को बताया गया कि मॉडल आरक्षण रोस्टर और रजिस्टर सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक नेटवर्क ‘Supnet' पर अपलोड कर दिया गया है.

सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि अगर किसी को रोस्टर या रजिस्टर में कोई त्रुटि दिखे तो वे रजिस्ट्रार (भर्ती) को आपत्ति भेज सकते हैं.

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