मध्यप्रदेश के पन्ना (Panna) जिले में बुधवार को एक मजदूर की किस्मत चमक गई. उसे पन्ना की प्रसिद्ध हीरा खदान में 19.22 कैरेट का हीरा (Diamond ) मिल गया. अनुमान जताया जा रहा है कि सरकार की ओर से इस हीरे की नीलामी की जाएगी जिसमें इसकी करीब 80 लाख रुपये या उससे अधिक कीमत मिल सकती है. मजदूर राजू गौड़ पिछले दस साल से खदान में खुदाई करके अपनी किस्मत आजमा रहा था. उसे नहीं पता था कि एक दिन इस तरह उसकी किस्मत चमक जाएगी. सवाल यह है कि राजू को इस हीरे की कीमत में से कितनी राशि मिलेगी?
राजू गौड़ को उम्मीद है कि हीरे की नीलामी के बाद उसे मिलने वाली रकम से उसकी आर्थिक मुश्किलें कम होंगी और उसके बच्चों की पढ़ाई का खर्च निकल सकेगा. उसने समाचार एजेंसी भाषा से कहा कि वह कृष्णा कल्याणपुर में स्थित खदान में हीरा पाकर बहुत खुश हुआ और उसने तुरंत इसे सरकारी अधिकारियों के पास जमा करा दिया.
मजदूर राजू बच्चों को पढ़ाएगा, खेत खरीदेगा
राजू गौड़ ने कहा कि जहां हीरा मिला वह खदान उसने करीब दो महीने पहले ही ली थी. उसने कहा कि वह इन रुपयों से अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करेगा और खेती के लिए जमीन खरीदेगा.
पन्ना में स्थित हीरा कार्यालय के एक अधिकारी अनुपम सिंह ने बताया कि इस हीरे को अगली नीलामी में बिक्री के लिए रखा जाएगा. कलेक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि खदान में मिला 19.22 कैरेट का हीरा नीलामी में 80 लाख रुपये या उससे अधिक कीमत में बिक सकता है. उन्होंने बताया कि अगली नीलामी में इस हीरे को खुली बोली के लिए रखा जाएगा.
अधिकारियों ने बताया कि कच्चे हीरे की नीलामी की जाएगी और सरकारी रॉयल्टी और करों में कटौती करने के बाद आय मजदूर को दी जाएगी.
राजू गौड़ को हीरे की नीलामी के बाद मिलेगी राशि
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक राजू ने जो हीरा खोजा है उसकी नीलामी में कीमत कम से कम 80 लाख रुपये होगी. सरकारी नियम के मुताबिक सरकार हीरा खोजने वाले को आयकर और रायल्टी की रकम काटकर पैसा देती है. इस हिसाब से हीरे से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत इनकम टैक्स और करीब 12 प्रतिशत रायल्टी की राशि काटी जाएगी. हीरा यदि 80 लाख रुपये में नीलाम होता है तो उस पर इनकम टैक्स 24 लाख रुपये और रायल्टी करीब 10 लाख रुपये ली जाएगी. इस तरह राजू के हाथ में कुल करीब 46 लाख रुपये आएंगे.
मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित पन्ना जिले में 12 लाख कैरेट के हीरे का भंडार होने का अनुमान है. भारत में हीरे की खुदाई का काम आज़ादी से भी पहले से हो रहा है. पन्ना जिले से हीरे निकालने का इतिहास 300 साल पुराना है. आजादी से पहले राजपरिवार के संरक्षण में हीरा खदानों का संचालन होता था. बाद में हीरा खदानों के लिए पट्टे जिला प्रशासन देने लगा. सन 1961 से यह काम हीरा कार्यालय की ओर से किया जा रहा है.
250 रुपये में मिलता है हीरा खदान में पट्टा
पन्ना में हीरे की खुदाई के लिए हीरा कार्यालय से सरकारी पट्टा बनवाना पड़ता है. इसके बाद हीरा कार्यालय एक जमीन का टुकड़ा दे देता है. इसके बाद वहां पर खुदाई शुरू की जाती है. कई फीट मिट्टी हटाने के बाद मिलने वाली मिट्टी-कंकड़ों को दूसरे गड्ढे में डालकर पानी से धोया जाता है. मिट्टी हटने पर सिर्फ कंकड़ बचते हैं. इन्हीं कंकड़ों में हीरे मिल सकते हैं. पन्ना में भारत का कोई भी नागरिक 250 रुपये में पट्टा बनवाकर हीरे की खोज कर सकता है. एक पट्टे की अवधि छह महीने की होती है. इस बीच हीरा मिलने पर उसे हीरा कार्यालय पन्ना में जमा करना होता है. वहां हीरे की कीमत के हिसाब से सरकारी नियमों के मुताबिक कटौती करके पैसा दिया जाता है.
देश में कहीं हीरा मिलने पर उसे सरकारी हीरा कार्यालय को सौंपने का नियम है. इसमें हीरे बिक्री से होने वाली आय पर टैक्स कम करके और 11.5 प्रतिशत रॉयल्टी काटकर रकम दी जाती है. खदान के लाइसेंस धारकों से रॉयल्टी, डेड रेंट, टैक्स और अन्य शुल्क लिए जाते हैं.
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