हिजाब मामले में प्रतिबंध बरकरार रखने के पक्ष में निर्णय देने वाले जज जस्टिस हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) ने कहा कि जज का काम ऐसा होता है कि वादी-प्रतिवादी पक्ष में से कोई एक तो दुखी होगा. एक न्यायाधीश लोगों को खुश नहीं कर सकता है, क्योंकि उनको भूमिका ऐसी नहीं मिली है और यह भूमिका सार्वजनिक जीवन में अन्य लोगों को सौंपी गई है. उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए लोगों को खुश करने के इरादे से एक जज अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकता. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह के दौरान उन्होंने यह बात कही.
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस हेमंत गुप्ता 16 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. जस्टिस गुप्ता अपने अंतिम कार्यदिवस पर शुक्रवार को रस्मी तौर पर सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ का हिस्सा थे. सीजेआई उदय उमेश ललित ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट क न्यायाधीश हेमंत गुप्ता संस्था (न्यायपालिका) के लिए हमेशा एक बेहतरीन प्रतिभा रहे हैं.
जस्टिस ललित ने कहा कि जस्टिस गुप्ता को जो भी काम सौंपा गया उसके निर्धारण के लिए हमेशा अपनी क्षमता के अनुरूप काम किया तथा भरपूर योगदान की कोशिश की. सीजेआई ने कहा, ''वह हमेशा संस्था के लिए एक बेहतरीन प्रतिभा रहे हैं और हम उनके अच्छे स्वास्थ्य, बेहतर भविष्य और उन सभी चीजों की कामना करते हैं जिसके वे (जस्टिस गुप्ता) हकदार हैं.''
इस अवसर पर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि शीर्ष अदालत में रहना ''व्यक्तिगत रूप से समृद्ध अनुभव'' था और उन्हें हमेशा सभी वकीलों से सहायता मिली. उन्हें दो नवंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था.
जस्टिस गुप्ता ने अदालत में मौजूद अधिवक्ताओं से कहा, ''व्यक्तिगत रूप से बोल रहा हूं, मैंने लगभग 20 वर्षों की अपनी पारी का भरपूर आनंद लिया. प्रत्येक दिन मेरे लिए सीखने वाला था और आप सभी ने सीखने की प्रक्रिया में मेरी मदद की है. बहुत-बहुत धन्यवाद.'' जस्टिस गुप्ता को उनके अंतिम कार्यदिवस पर विदाई देने के लिए अदालत कक्ष में वकील मौजूद थे.
जस्टिस गुप्ता के सेवानिवृत्त होने से शीर्ष अदालत में सेवारत न्यायाधीशों की संख्या घटकर 28 हो जाएगी, जबकि सीजेआई सहित न्यायाधीशों के 34 पद स्वीकृत हैं.
सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में फैसले सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए. जस्टिस गुप्ता ने हिजाब मामले में खंडित फैसले में कर्नाटक हाईकोर्ट के 15 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों को खारिज कर दिया. उच्च न्यायालय ने हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया था.
सीजेआई ने कहा, ''मुझे यह जरूर कहना चाहिए. आज की इस पीठ में उम्र के मामले में दो वरिष्ठतम न्यायाधीश मौजूद हैं.'' सीजेआई ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, ‘‘संयोग से शीर्ष अदालत में मेरा पहला दिन सीजेआई के कक्ष में था और मेरा आखिरी दिन भी इसी कक्ष में है.''
सत्रह अक्टूबर 1957 को जन्मे जस्टिस हेमंत गुप्ता ने जुलाई 1980 में एक वकील के रूप में नामांकन किया. उन्होंने 1997 से 1999 तक पंजाब के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में भी काम किया. उन्हें दो जुलाई 2002 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था.
उन्होंने आठ फरवरी, 2016 को पटना हाईकोर्ट के जज के रूप में पदभार संभाला और 29 अक्टूबर, 2016 को उसी हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए. न्यायमूर्ति गुप्ता को 18 मार्च, 2017 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था.
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