आज अगर आप एक क्लिक से पैसा ट्रांसफर करने से लेकर तमाम जरूरी काम कर पाते हैं तो इसके पीछे डिजिटल क्रांति का अहम योगदान है. इसकी शुरुआत तो साल 2014 से पहले ही हो गई थी, लेकिन पीएम मोदी ने अपने 9 साल के कार्यकाल में देश में डिजिटल क्रांति लाने और लोगों को डिजिटली काम करने के लिए प्रेरित किया. हालांकि, उस वक्त लगा था कि सबकुछ इतनी जल्दी संभव नहीं होगा. लेकिन बीते 9 वर्षों में पीएम मोदी के विजन के सहारे जिस गति के साथ डिजिटल क्रांति ने देशवासियों को फायदा पहुंचाया है वो किसी करिश्मे से कम नहीं है. पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने की वजह से लाखों और करोड़ों देशवासियों को फायदा पहुंचा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में रहते हुए (#9YearsOfPMModi) नौ साल पूरा होने पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से डिजिटल इंडिया को लेकर उनके विजन ने पूरे देश को विश्व मानचित्र पर एक अलग पहचान दिलाई. और डिजिटल क्रांति ने किस तरह से देशवासियों के जीवन को सरल और सुगम बनाया है.
बैंक हो, पहचान का प्रमाण हो, यात्रा की सुविधा हो या फिर स्वास्थ्य संबंधि मुद्दे, ये सारे काम 2023 के डिजिटल इंडिया में एक क्लिक के साथ हो जाते हैं. आठ साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जिस डिजिटल क्रांति की बात की थी, उसका लाभ अब मिलने लगा है. (यहां देखिए, डॉक्यूमेंट्री सीरीज के सातवें एपिसोड का पूरा वीडियो)
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नरेंद्र मोदी
2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी के पहले बड़े लक्ष्यों में से एक डिजिटल भारत भी था. मोदी सरकार की नौवीं वर्षगांठ पर डिजिटल इंडिया का असर अब जमीन पर दिख रहा है. 2015 में डिजिटल डॉक्युमेंट स्टोर डिजीलॉकर की लॉन्चिंग की गई. इसके बाद 2016 में डिजिटल पेमेंट के लिए UPI लॉन्च किया गया. 2021 में वन स्टॉप कोविड-19 वैक्सीन प्लेटफॉर्म की लॉन्चिंग हुई. जबकि 2022 में एयरपोर्ट पर भीड़ कम करने के लिए डिजी यात्रा की लॉन्चिंग की गई. मोदी सरकार की ये तमाम पहले अब लाखों जिंदगियों को छू रहा है.
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राजीव चंद्रशेखर
पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबराय ने कहा कि शायद यह एकमात्र उदाहरण है, जहां सरकार द्वारा संचालित पहल इतनी ज्यादा सफल रही है. वहीं, फैक्टरडेली के को-फाउंडर पंकज मिश्रा ने कहा कि अब हम टेक और डिजिटल के बारे में ऐसे बात नहीं करते हैं, जैसे वो हमारे जीवन से अलग हैं. पिछले दशक में इन चीजों में तेजी से बदलाव आया है. जबकि नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के सीईओ आरएस शर्मा का कहना है कि डिजिटल इंडिया सचमुच में एक ऐसा कार्यक्रम हमारी सरकार का रहा है, जिसने लोगों के काम करने के तरीके में काफी बदलाव लेकर आया है. इससे सरकारी सेवाओं और सुविधाओं में बड़ी क्रांति आई है. इसे लेकर प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने कहा कि डिजिटल इंडिया सिर्फ ऐप तक ही सीमित नहीं है. इसका प्रसार अब बड़े स्तर पर हो चुका है.
डिजिटल इंडिया को समझने के लिए आंकड़े खंगालने पड़ेंगे
आज देश के व्यस्क आबादी के 99 फीसदी हिस्से के पास यूनिक आइडेंटिटी नंबर है. मई 2023 तक 137 करोड़ से ज्यादा आधार कार्ड जारी किए गए हैं. फैक्टरडेली के को-फाउंडर पंकज मिश्रा ने कहा कि ये अप्रत्याशित है. दुनिया में कहीं भी 1.34 अरब लोगों को अपना पहचान पत्र आधार जैसी किसी प्रणाली या मंच का इस्तेमाल करते हुए नहीं मिला. लगभग 111 करोड़ भारतीयों ने कोविड के टीकों का लाभ उठाने के लिए कोविन पर रजिस्ट्रेशन करवाया.
आरएस शर्मा, सीईओ, नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने कहा कि किसी देश में ऐसी कोई मिसाल नहीं है जहां एक डेटाबेस को आठ या नौ महीने से भी कम समय में अरब से भी ज्यादा लोगों तक पहुंचाया गया हो.
UPI से मासिक लेन-देन 14 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा
यूपीआई में मासिक लेन-देन 14 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा को हो चुका है.पंकज मिश्रा कहते हैं कि यूपीआई की विभिन्न मंचों पर काम करने की क्षमता विश्वस्तरीय है. बहुत से देश जिन्हें लगता था कि वो वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में शामिल नहीं किए गए वो अब यूपीआई को देखकर कह रहे हैं कि हम भी इन बाधाओं से आगे निकल सकते हैं. डिजिटल इंडिया स्टैक का यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस एक गेम चेंजर साबित हुआ है. रेहड़ी वालों और रिक्शा चालकों से लेकर चमचमाते शो रूम और होटलों तक सभी छोटे बड़े कारोबार क्यू आर कोड की छत्रछाया में चले आए हैं.
"आज 100 के 100 रुपये नागरिकों तक पहुंचते हैं"
व्यापार में आसानी के अलावा इस मंच की सबसे बड़ी उपलब्धि है वित्तीय समावेश. प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने कहा कि जब-जब देश में चुनौतियां आई हैं जैसे नोटबंदी हो, लॉकडाउन हो, तब-तब डिजिटल इंडिया के जितने प्रोजेक्ट हैं वो काम आए हैं. और 100 करोड़ से भी ज्यादा जो आबादी है देश में उस स्तर पर डिजिटल होने के फायदे को पहुंचाने वाला भारत दुनिया में एकलौता देश है. वहीं, केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि आज अगर देश की राजधानी या राज्य की राज्यधानी से 100 रुपये निकलते हैं तो वो 100 के 100 रुपये पहुंचते हैं नागरिक के खाते में. और इसको संभव बनाता है यूपीआई का डिजिटल प्लेटफॉर्म.
"आज 130 करोड़ भारतीयों के पास आधार"
यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पहले अध्यक्ष के तौर पर नंदन नीलेकणी ने वो नींव रखी, जिसके ऊपर गवर्नेंस की योजनाएं आधारित हैं. आरएस शर्मा ने कहा कि आज 130 करोड़ लोगों के पास आधार है. मतलब लगभग हर व्यक्ति के पास आधार है. तो आज हिन्दुस्तान अकेला ऐसा देश है जिसके पास ऑनलाइन सिग्नेचर सर्विस उपलब्ध है, डिजिटल लॉकर है जिसमें 550 करोड़ डाक्यूमेंट्स रखे गए हैं. उसी तरह से हमारे पास डिजिटल केवाईसी है, जिसके माध्यम से अब आप घर बैठे ही बैंक एकाउंट खोल सकते हैं. ये जो चीज हुई है, इसे डिजिटल क्रांति कहते हैं जो हिन्दुस्तान में हुई है.
ये अनूठी पहचान पूरी तरह से डिजिटल है. आपको कार्ड भी साथ रखने की जरूरत नहीं है. क्योंकि ये डिजिलॉकर पर उपलब्ध है. एक ऐसा ऐप जो सारे अहम दस्तावेज फोन पर उपलब्ध कराता है. फिर ये डिजिटल आईडी अन्य ऐप से जुड़कर सुविधाएं देता है. जैसे डिजि यात्रा हवाई यात्रा को ज्यादा आसान बनाता है. या आरोग्य सेतु की मदद से कोविड की स्थिति पर निगरानी रखी जाती है.
डिजिटल इंडिया ने सरकार के कामकाज के तरीके को भी बदला है
डिजिटल इंडिया ने ना सिर्फ आम भारतीयों की जिंदगियां बदल दी हैं बल्कि सरकार के कामकाज के तरीके को भी बदला है. शशि शेखर वेम्पति कहते हैं कि मैं जो एक बड़ी उपलब्धि मानता हूं सरकार के अंदर तकनीक के इस्तेमाल का वो है गवर्मेंट ई मार्केट प्लेस, जेम पोर्टल. इसमें सरकार की जितनी भी सारी खरीददारी है वो ऑनलाइन हो रहा है.और ये ओपन मार्केट प्लेस है. इसमें छोटे से छोटे दुकानदार हो या सर्विस प्रोवाइडर हो वो इस जेम पोर्टल पर रजिस्टर हो सकते हैं. और अपने जो भी प्रोडक्ट्स हैं सर्विसेज हैं वो सरकारी मंत्रालय को ऑफर कर सकते हैं.
वैसे डिजिटल पहुंच अब भी एक चुनौती है. और अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकि है. फिलहाल देश के आधे हिस्से तक ही इंटरनेट पहुंचता है. इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन के अनुसार 2022 में देश की 52 फीसदी आबादी तक इंटरनेट की पहुंच हुई है. विश्व बैंक के आंकड़े देखें तो इंटरनेट की पहुंच जो 2014 तक सिर्फ 14 फीसदी थी वो अब बढ़ी तो है लेकिन अभी इस क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है.
वहीं, तबस्सुम, जो गृहिणी हैं, कहती हैं कि लॉकडाउन से पहले बच्चे अच्छे नंबर से पास हो जाते थे लेकिन लॉकडाउन में पढ़ाई ना होने की वजह से नंबर कम आए. क्योंकि और बच्चों की तरह हमारे बच्चे इंटरनेट से पढ़ाई नहीं कर पाए.
हमारे बस का नहीं है कि हम बड़ा फोन लें. हम तो सिर्फ बात करने के लिए ही फोन का इस्तेमाल कर पाते हैं.
साइबर सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती
साइबर सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है. इंटरनेट पर डेटा के साथ जोखिम जुड़े रहते हैं. जिससे डिजिटल इंडिया भी अछूता नहीं है. आरएस शर्मा कहते हैं कि ऑनलाइन डिजिटल दुनिया, एक ऐसी दुनिया है जहां डेटा ब्रिच का रिस्क हमेशा रहता है. किसी भी सिस्टम को ये सुनिश्चित करना चाहिए की वहां डेटा का ब्रिच ना हो. सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी जरूरी है. इन चुनौतियों के बावजूद डिजिटल इंडिया कई नए मंचों पर आ रहा है. एक बड़ा कदम है सरकार समर्थित ई कॉमर्स का मंच ओएनडीसी. जो देश भर के 35 हजार से ज्यादा छोटे कारोबार और रेस्टोरेंट मालिकों का सशक्तिकरण करके ऑनलाइन रिटेल में बदलाव ला रहा है. इस तरह के अभियानों के साथ डिजिटल इंडिया का भविष्य उज्जवल है.
डॉक्यूमेंट्री सीरीज के पहले 6 एपिसोड आप यहां देख सकते हैं:-
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