लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बसपा के विधायक रहे राजू पाल की 2005 में हुई हत्या के मामले में शुक्रवार को सात लोगों को दोषी ठहराया. इस मामले में माफिया से नेता बना अतीक अहमद भी आरोपी था. अतीक और उसके भाई अशरफ की पिछले वर्ष 15 अप्रैल को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह जानकारी अधिकारियों ने दी.
अधिकारियों ने बताया कि अतीक अहमद, उसके भाई एवं मुख्य आरोपी खालिद अजीम उर्फ अशरफ और गुलबुल उर्फ रफीक के खिलाफ सुनवायी उनकी मृत्यु के बाद बंद कर दी गई थी.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नेता राजू पाल की अतीक अहमद के भाई अशरफ के साथ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के परिणामस्वरूप 25 जनवरी 2005 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. राजू पाल ने नवंबर 2004 में प्रयागराज पश्चिम सीट पर हुए उपचुनाव में अतीक के छोटे भाई मोहम्मद अशरफ को हराकर जीत हासिल की थी.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 2016 में मामले की जांच अपने हाथ में ली थी. लखनऊ में विशेष सीबीआई न्यायाधीश ने मामले में रणजीत पाल, आबिद, फरहान अहमद, इसरार अहमद, जावेद, गुलहसन और अब्दुल कवि को आपराधिक साजिश और हत्या सहित अन्य गंभीर आरोपों में दोषी ठहराया.
राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने अदालत के फैसले का स्वागत किया लेकिन कहा कि उन्हें मौत की सजा दी जानी चाहिए थी. उन्होंने लखनऊ से फोन पर ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, 'मैं अदालत के फैसले से संतुष्ट हूं. लेकिन इन आरोपियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए थी क्योंकि एक विधायक की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी.'
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पिछले साल 15 अप्रैल को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हमलावरों ने दोनों पर उस समय गोलीबारी की थी जब पुलिस दोनों को हिरासत के दौरान प्रयागराज में एक अस्पताल लायी थी.
अतीक और अशरफ पर गोलीबारी की घटना मीडिया के कैमरों रिकार्ड हो गई थी. पुलिस अतीक और अशरफ को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जा रही थी. कम से कम दो व्यक्ति अतीक अहमद और अशरफ पर करीब से गोली चलाते देखे गए थे. अतीक और अशरफ इस दौरान जमीन पर गिर गए, जबकि पुलिस कर्मियों ने हमलावरों को पकड़ लिया.
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