ठाणे:
मुंबई से सटे ठाणे के मुंब्रा इलाके में गुरुवार शाम निर्माणाधीन सात मंजिला इमारत गिरने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 58 हो गई है, जबकि 60 से अधिक घायल हुए हैं। मरने वालों में कई बच्चे भी शामिल हैं। अभी भी 20 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
मरने वालों में 16 बच्चे शामिल हैं जिनमें छह लड़के और 11 बच्चियां शामिल हैं। 15 महिलाएं और 20 पुरुष भी मरने वालों की सूची में शामिल हैं।
मुंब्रा की इस बिल्डिंग के गिरने के बाद सरकार ने डीएमसी जोन-1 के दीपक चव्हाण और रेगुलेटर चोरबोले को निलंबित कर दिया है। इसी के साथ शाम को इलाके के वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर को भी निलंबित कर दिया गया।
इस मामले में सरकार ने राहत राशि की घोषणा कर दी है। मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को पचास हजार रुपये देने की घोषणा की है।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इस इमारत को ढहने में सिर्फ तीन से चार सेकंड लगे और यह 20 फीट ऊंचे मलबे के ढेर में तब्दील हो गई।
मलबे में अब भी कुछ लोगों के दबे होने की आशंका है। एनडीआरएफ और पुलिस की टीम राहत और बचाव के काम में जुटी हुई है। इमारत की पांच मंजिलों तक लोग रहते थे, जबकि छठी और सातवीं मंजिल अभी बन रही थी।
इलाके के डिप्टी कलेक्टर मनोज गोहाद के मुताबिक यह इमारत गैरकानूनी थी। इमारत में रहने वाले ज्यादातर लोग मजदूर थे, जो वहीं काम करते थे।
घायलों को शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि शिला धगर इलाके में स्थित यह भवन गैरकानूनी और यह वन भूमि पर बना था। उन्होंने बताया कि घटना के समय इमारत में लगभग 35 परिवार रह रहे थे।
दाइघर पुलिस ने बिल्डर साहिल और खलील जमादार के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि इन्हें पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि इस गैर-कानूनी इमारत को लेकर शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। मंगल पाटिल का कहना है कि समय समय पर उन्होंने संबंधित विभागों में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
मरने वालों में 16 बच्चे शामिल हैं जिनमें छह लड़के और 11 बच्चियां शामिल हैं। 15 महिलाएं और 20 पुरुष भी मरने वालों की सूची में शामिल हैं।
मुंब्रा की इस बिल्डिंग के गिरने के बाद सरकार ने डीएमसी जोन-1 के दीपक चव्हाण और रेगुलेटर चोरबोले को निलंबित कर दिया है। इसी के साथ शाम को इलाके के वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर को भी निलंबित कर दिया गया।
इस मामले में सरकार ने राहत राशि की घोषणा कर दी है। मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को पचास हजार रुपये देने की घोषणा की है।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इस इमारत को ढहने में सिर्फ तीन से चार सेकंड लगे और यह 20 फीट ऊंचे मलबे के ढेर में तब्दील हो गई।
मलबे में अब भी कुछ लोगों के दबे होने की आशंका है। एनडीआरएफ और पुलिस की टीम राहत और बचाव के काम में जुटी हुई है। इमारत की पांच मंजिलों तक लोग रहते थे, जबकि छठी और सातवीं मंजिल अभी बन रही थी।
इलाके के डिप्टी कलेक्टर मनोज गोहाद के मुताबिक यह इमारत गैरकानूनी थी। इमारत में रहने वाले ज्यादातर लोग मजदूर थे, जो वहीं काम करते थे।
घायलों को शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि शिला धगर इलाके में स्थित यह भवन गैरकानूनी और यह वन भूमि पर बना था। उन्होंने बताया कि घटना के समय इमारत में लगभग 35 परिवार रह रहे थे।
दाइघर पुलिस ने बिल्डर साहिल और खलील जमादार के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि इन्हें पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि इस गैर-कानूनी इमारत को लेकर शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। मंगल पाटिल का कहना है कि समय समय पर उन्होंने संबंधित विभागों में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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