कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की अनुसंधान शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी (CRTDS) ने इस शादी सीजन को लेकर एक खास अनुमान लगाया है. इस अनुमान के मुताबिक आगामी शादी सीजन 1 नवंबर से 14 दिसंबर 2025 के दौरान देशभर में लगभग 46 लाख शादियां होंगी, जिनसे कुल ₹6.50 लाख करोड़ का व्यापार होगा. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि यह व्यापक अध्ययन 15 से 25 अक्टूबर 2025 के बीच देश के 75 प्रमुख शहरों में किया गया था. अध्ययन से पता चला कि भारत की “वेडिंग इकॉनमी” घरेलू व्यापार का एक मजबूत स्तंभ बनी हुई है, जो परंपरा, आधुनिकता और आत्मनिर्भरता का संगम है. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” विज़न के अनुरूप.
कैट अध्ययन के अनुसार
- कुल शादियां: 46 लाख
- अनुमानित व्यापार: ₹6.50 लाख करोड़
- दिल्ली में शादियां: 4.8 लाख
- दिल्ली का योगदान: ₹1.8 लाख करोड़
- तुलनात्मक रूप से 2024 में 48 लाख शादियों से ₹5.90 लाख करोड़ का व्यापार हुआ था.
- 2023 में 38 लाख शादियों से ₹4.74 लाख करोड़ और 2022 में 32 लाख शादियों से ₹3.75 लाख करोड़ का कारोबार हुआ था.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष शादियों की संख्या लगभग पिछले वर्ष के बराबर है, लेकिन प्रति शादी खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसका कारण बढ़ती आय, कीमती धातुओं की कीमतों में वृद्धि और त्योहारी सीजन में उपभोक्ता विश्वास का बढ़ना है.अध्ययन में यह भी सामने आया कि अब शादी से जुड़े 70% से अधिक सामान भारतीय निर्मित हैं, जैसे परिधान, आभूषण, सजावट सामग्री, बर्तन, कैटरिंग आइटम आदि.
कैट के “वोकल फॉर लोकल वेडिंग्स” अभियान ने चीनी लाइटिंग, कृत्रिम सजावट और गिफ्ट एक्सेसरी जैसे आयातित उत्पादों की मौजूदगी को काफी घटा दिया है. पारंपरिक कारीगरों, ज्वैलर्स और वस्त्र उत्पादकों को भारी ऑर्डर मिल रहे हैं, जिससे भारत की स्थानीय विनिर्माण क्षमता और हस्तकला को नया बल मिल रहा है.
₹6.5 लाख करोड़ के अनुमानित शादी खर्च में से वस्त्र एवं साड़ियां 10%, आभूषण 15%, इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रिकल्स 5%, सूखे मेवे व मिठाई 5%, किराना व सब्जियाँ 5%, गिफ्ट आइटम 4%, अन्य सामान 6% हिस्सा लेंगे। वहीं सेवाओं के क्षेत्र में इवेंट मैनेजमेंट 5%, कैटरिंग 10%, फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी 2%, यात्रा व आतिथ्य 3%, पुष्प सजावट 4%, म्यूजिकल ग्रुप्स 3%, लाइट एंड साउंड 3% तथा अन्य सेवाएँ 3% योगदान देंगी.
दिल्ली में 4.8 लाख शादियों से ₹1.8 लाख करोड़ का व्यापार होने का अनुमान है, जिसमें सबसे अधिक खर्च आभूषण, फैशन और वेन्यू पर होगा. राजस्थान और गुजरात में लक्ज़री व डेस्टिनेशन वेडिंग्स का चलन बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश और पंजाब में पारंपरिक सजावट और कैटरिंग पर भारी खर्च देखा जा रहा है. महाराष्ट्र व कर्नाटक में इवेंट मैनेजमेंट और बैंक्वेट सेवाओं की मांग बढ़ी है।दक्षिणी राज्यों में हेरिटेज और मंदिर शादियों के कारण पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है.
शादी सीजन 2025 से 1 करोड़ से अधिक अस्थायी और अंशकालिक रोजगार सृजित होने की संभावना है, जिससे डेकोरेटर, कैटरर, फ्लोरिस्ट, कलाकार, ट्रांसपोर्टर और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र के लोग सीधे लाभान्वित होंगे. वस्त्र, ज्वैलरी, हैंडीक्राफ्ट, पैकेजिंग और लॉजिस्टिक्स जैसे एमएसएमई क्षेत्रों को भी मौसमी बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत की “सनातन अर्थव्यवस्था” और मजबूत होगी.
उन्होंने कहा कि डिजिटल और आधुनिक ट्रेंड्स को भी शादी समारोहों में खूब अपनाया जा रहा है. अब 1–2% शादी बजट डिजिटल कंटेंट निर्माण और सोशल मीडिया कवरेज पर खर्च होता है. ऑनलाइन निमंत्रण प्लेटफ़ॉर्म और एआई-आधारित प्लानिंग टूल्स में 20–25% की वृद्धि दर्ज की गई है. परिवार अब विदेशी स्थलों के बजाय भारतीय डेस्टिनेशन को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था पर गर्व झलकता है.
खंडेलवाल ने कहा कि कैट का अनुमान है कि यह 45-दिवसीय शादी सीजन सरकार को लगभग ₹75,000 करोड़ का टैक्स राजस्व (जीएसटी आदि) प्रदान करेगा. भारतीय वेडिंग इकॉनमी देश का सबसे बड़ा असंगठित किंतु प्रभावशाली क्षेत्र है, जो ग्रामीण और शहरी दोनों बाजारों में खपत को गति देता है.
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