दो दिन पहले मथुरा-वृंदावन में जैसे ओले गिरे वैसे वहां किसी ने पहले देखे न थे। मार्च और अप्रैल तक खिंच आई बारिश किसानों के लिए क़हर बनी हुई है। हालात इतने बुरे दिख रहे हैं कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह भी पैदावार में कमी आने की बात कहने लगे हैं।
एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में राधामोहन सिंह ने कहा, 'हमारा अंदाज़ा है कि गेहूं की फसल की बर्बादी की वजह से गेहूं के उत्पादन में 3 से 5 फीसदी तक की गिरावट आएगी। हमारे पास जो जानकारी है उसके मुताबिक देश में अब तक 113 लाख हेक्टेयर की फसल बरबाद हुई है।'
कृषि मंत्रालय के भेजे गए रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि ओलों की वजह से कुल 10.58 लाख हेक्टेयर के इलाके में बोई गेहूं की फसल पर असर पड़ा है, जबकि छह लाख हेक्टेयर की दलहन की फसल प्रभावित हुई है और 68,000 हेक्टेयर की तिलहन के बरबाद होने का अंदेशा है। 28,000 हेक्टेयर की बागवानी पर भी असर पड़ा है।
अब राज्य सरकार किसानों को गांव जाकर मदद पहुंचाने की बात कर रही है। वैसे बेमौसम बारिश ने सबसे ज़्यादा राजस्थान को मारा है। कृषि मंत्रालय से एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक राजस्थान में 45 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर फसल प्रभावित हुई है, जबकि इस लिस्ट में उत्त प्रदेश दूसरे नंबर पर है। उत्त प्रदेश में 4.65 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर फसल प्रभावित हुई है जबकि हरियाणा में 18.75 लाख हेक्टेयर और महाराष्ट्र में 10 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर फसल प्रभावित हुई है।
इस बीच सोनिया गांधी ने खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान को चिट्ठी लिखी है कि इस बार किसानों का नम गेहूं भी ख़रीदा जाए। खाद्य मंत्रालय ने भी किसानों को हुए भारी नुकसान को देखते हुए गेहूं ख़रीद के मानकों में ढील देने की बात कही है। लेकिन हाल की बारिश से किसानों को ख़ासा नुकसान पहुंचा है और किसान को जो तात्कालिक राहत चाहिए, उसकी वह अब भी राह देख रहा है।
ज़ाहिर है, नुकसान का दायरा काफी बड़ा है और आने वाले दिनों में केन्द्र और राज्य सरकारों के सामने चुनौती प्रभावित किसानों तक समय पर उचित मुआवज़ा पहुंचाने के साथ-साथ आने वाले महीनों में बाज़ार में ज़रूरी खाने-पीने के सामान की सप्लाई सुनिश्चित करनी होगी।
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