1984 सिख विरोधी हिंसा (1984 Anti-Sikh Violence) मामले में दोषी पूर्व विधायक महेंद्र यादव (Mahendra Yadav)को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. जेल में बंद यादव को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अंतरिम जमानत (Interim Bail) देने से इंकार कर दिया है. यादव ने कोविड-19 पॉजेटिव होने और ज्यादा उम्र होने के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत की गुहार लगाई थी. उनको मामले में दस साल की सजा सुनाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना किसी शिकायत या उपचार पर आरोप के हम इस याचिका को नहीं सुन सकते. किसी मरीज के परिजनों को अस्पताल में जाने की अनुमति नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सामान्य नियम है और इसके विपरीत आदेश जारी नहीं किया जा सकता.
जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के इलाज के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही है. उसके परिवार को इलाज से संबंधित कोई शिकायत नहीं है. परिवार का कोई अन्य विशिष्ट सुझाव नहीं है जिसे वे लेना चाहते हैं. जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने दोषी महेंद्र यादव की अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई की. यादव ने जेल में कोविड-19 पॉजेटिव होने और ज्यादा उम्र होने के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मांगी है.
गौरतलब है कि 1984 में हुए सिख विरोधी हिंसा मामले में मंडोली जेल में बंद पूर्व विधायक महेंद्र यादव कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. उन्हें पेट दर्द की शिकायत के बाद जेल प्रशासन ने दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती करवाया. अस्पताल में उनका कोविड-19 का टेस्ट हुआ तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई. हालत बिगड़ने पर उन्हें लोकनायक अस्पताल में रेफर किया गया है.
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