प्रतीकात्मक तस्वीर
भोपाल:
मध्यप्रदेश में दसवीं-बारहवीं के नतीजे घोषित होने के 12 घंटों के अंदर ही 12 बच्चों ने अपनी जान दे दी. सरकार ने पहली दफा अव्वल आने वाले बच्चों को मुख्यमंत्री आवास में सम्मानित किया. वैसे पिछले साल की तुलना में इस साल मध्यप्रदेश में हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी दोनों के नतीजे खराब रहे हैं. नतीजे आने से पहले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बच्चों के नाम एक वीडियो संदेश में कहा था, 'क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत में, कर्तव्य पथ पर जो मिला, ये भी सही वो भी सही.' नतीजे मन मुताबिक ना आएं तो घबराने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन मध्यप्रदेश के भिंड में 12वीं के छात्र तपश मिहोलिया ने शायद इसे नहीं सुना. तपश पिछले साल 12वीं में फ़ेल हो गया था, इस बार उम्मीद अच्छी थी लेकिन वो पास नहीं हुआ. परिजन शादी में गए थे, सुनसान घर में वो पंखे से झूल गया. नतीजों के ऐलान के 12 घंटे के अंदर 12 बच्चों ने खुदकुशी कर ली.
भोपाल में सरकार ने 174 बच्चों को नतीजों से पहले रिजल्ट बताकर बुलाया, खूब तामझाम हुआ लेकिन हकीकत में पिछले साल के मुकाबले इस साल दसवीं में रिजल्ट 3.97 फीसदी गिरा, जबकि बारहवीं में 1.46 फीसदी. सरकार ने ऐलान भी कर दिया छात्रों की तरह रिजल्ट के लिये शिक्षकों की उपस्थिति को भी पैमाना माना जाएगा.
स्कूली शिक्षा मंत्री विजय शाह ने कहा, 'पहले जिन छात्रों की उपस्थिति 70 फीसदी से कम होती थी उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाता था, लेकिन अब सरकार ने तय किया है जिसकी घोषणा आज मुख्यमंत्री ने की कि जिस शिक्षक की उपस्थिति 70 फीसदी से कम होगी उसे तनख्वाह नहीं दी जाएगी. लेकिन हक़ीकत में पिछले 5 साल में 1000 नए स्कूल खोले गये.
ज़रूरत 20000 शिक्षकों की थी, लेकिन 2011 के बाद से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई, जो आए वो सिर्फ संविदा पर. इस दौरान 1500 शिक्षक रिटायर भी हो गए. फिलहाल राज्य में शिक्षकों के 1.40 लाख पद खाली हैं. जो बचे उनसे कुंभ में ड्यूटी, ग्रामोदय से भारत उदय अभियान, ओपन बोर्ड मूल्यांकन, समग्र आईडी मैपिंग जैसे कई सरकारी काम कराये गये. मुख्यमंत्री ने सीएम हाउस में बच्चों को सम्मानित कर सुर्खियां तो बटोर लीं, लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं मिला की 5 साल में हज़ारों करोड़ खर्च करने पर भी 684 बच्चों ने खुदकुशी क्यों की, छात्रों के बीच आत्महत्या की प्रवृत्ति रोकने संबंधी गठित कमेटी की रिपोर्ट का क्या हुआ.
भोपाल में सरकार ने 174 बच्चों को नतीजों से पहले रिजल्ट बताकर बुलाया, खूब तामझाम हुआ लेकिन हकीकत में पिछले साल के मुकाबले इस साल दसवीं में रिजल्ट 3.97 फीसदी गिरा, जबकि बारहवीं में 1.46 फीसदी. सरकार ने ऐलान भी कर दिया छात्रों की तरह रिजल्ट के लिये शिक्षकों की उपस्थिति को भी पैमाना माना जाएगा.
स्कूली शिक्षा मंत्री विजय शाह ने कहा, 'पहले जिन छात्रों की उपस्थिति 70 फीसदी से कम होती थी उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाता था, लेकिन अब सरकार ने तय किया है जिसकी घोषणा आज मुख्यमंत्री ने की कि जिस शिक्षक की उपस्थिति 70 फीसदी से कम होगी उसे तनख्वाह नहीं दी जाएगी. लेकिन हक़ीकत में पिछले 5 साल में 1000 नए स्कूल खोले गये.
ज़रूरत 20000 शिक्षकों की थी, लेकिन 2011 के बाद से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई, जो आए वो सिर्फ संविदा पर. इस दौरान 1500 शिक्षक रिटायर भी हो गए. फिलहाल राज्य में शिक्षकों के 1.40 लाख पद खाली हैं. जो बचे उनसे कुंभ में ड्यूटी, ग्रामोदय से भारत उदय अभियान, ओपन बोर्ड मूल्यांकन, समग्र आईडी मैपिंग जैसे कई सरकारी काम कराये गये. मुख्यमंत्री ने सीएम हाउस में बच्चों को सम्मानित कर सुर्खियां तो बटोर लीं, लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं मिला की 5 साल में हज़ारों करोड़ खर्च करने पर भी 684 बच्चों ने खुदकुशी क्यों की, छात्रों के बीच आत्महत्या की प्रवृत्ति रोकने संबंधी गठित कमेटी की रिपोर्ट का क्या हुआ.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं