प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
सचिन तेंदुलकर, शशि थरूर, नितिन गडकरी और योगी आदित्यनाथ सहित 174 अति विशिष्ट व्यक्तियों ने पिछले तीन साल में रेलवे बोर्ड से विभिन्न नये जोन और मंडल बनाने की मांग की है. रेल मंत्रालय के रिकार्ड्स से इसकी जानकारी मिली है. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर मांग ‘‘राजनीतिक कारणों से प्रेरित’’ है और ‘‘क्षेत्रीय सोच रेलवे की परिचालन आवश्यकताओं पर हावी नहीं हो सकती हैं.’’ रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार 2014 से 31 मार्च 2017 तक 55 अतिविशिष्ट व्यक्तियों ने नये जोन और 119 अतिविशिष्ट व्यक्तियों ने नये मंडल की मांग की थी. रेलवे बोर्ड के एक पूर्व सदस्य ने बताया, ‘रेलवे जोन का निर्माण करना राजनीतिक बाध्यता है. अतीत में रेलवे बोर्ड की तरफ से गठित की गयी कमेटियों ने अपनी रिपोर्ट में न केवल यह कहा था कि अधिक रेलवे जोनों की स्थापना आर्थिक तथा परिचालन के तौर पर व्यवहार्य नहीं है लेकिन उन्होंने बोर्ड से मौजूदा जोन की संख्या कम करने का भी आग्रह किया था. फिर भी, मांग जारी है.’’
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उन्होंने कहा, ‘‘2002-2003 में तथा उसके बाद बने रेलवे जोन केवल राजनीतिक कारणों से बने हैं. ऐसा निर्णय में तकनीकी और परिचालनात्मक पहलुओं पर विचार नहीं किया गया. रेलवे के परिचालन को अभी 17 जोन में बांटा गया है. हर जोन मंडलों में बंटा है. प्रत्येक मंडल का एक मंडल मुख्यालय है. रेलवे में कुल 73 मंडल हैं.
वर्ष 2002-03 में सात नये जोन तथा आठ नये मंडलों का निर्माण किया गया था. सलेम मंडल 2007 में जोड़ा गया था. वर्ष 2009 से 2013 के बीच नये जोन बनाने के 92 और नये मंडल के लिए 45 आग्रह मिले हैं. इन सभी मांगों की जांच करने के लिए रेलवे ने एक बोर्ड गठित किया था. उसने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोई भी मांग तर्कसंगत नहीं है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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उन्होंने कहा, ‘‘2002-2003 में तथा उसके बाद बने रेलवे जोन केवल राजनीतिक कारणों से बने हैं. ऐसा निर्णय में तकनीकी और परिचालनात्मक पहलुओं पर विचार नहीं किया गया. रेलवे के परिचालन को अभी 17 जोन में बांटा गया है. हर जोन मंडलों में बंटा है. प्रत्येक मंडल का एक मंडल मुख्यालय है. रेलवे में कुल 73 मंडल हैं.
वर्ष 2002-03 में सात नये जोन तथा आठ नये मंडलों का निर्माण किया गया था. सलेम मंडल 2007 में जोड़ा गया था. वर्ष 2009 से 2013 के बीच नये जोन बनाने के 92 और नये मंडल के लिए 45 आग्रह मिले हैं. इन सभी मांगों की जांच करने के लिए रेलवे ने एक बोर्ड गठित किया था. उसने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोई भी मांग तर्कसंगत नहीं है.
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