प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आम चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार की जीत के पीछे अहम भूमिका निभाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों के मुताबिक अगर उन्हें पूरी आजादी नहीं मिलती है तो वह कांग्रेस पार्टी की ओर से सौंपे गए अपने नवीनतम दायित्व से पीछे हट सकते हैं।
यूपी के लिए प्रशांत किशोर की मांग से कई कांग्रेसी असहमत
पिछले साल नवंबर में बिहार चुनावों में नीतीश कुमार की बड़ी जीत के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रशांत किशोर को उत्तर प्रदेश और पंजाब में अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए रणनीति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इन दोनों राज्य में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि कांग्रेस के एक धड़े को ऐसा महसूस हो रहा है कि प्रशांत किशोर बाहरी व्यक्ति हैं और वह अपने दायरे से बाहर जाकर काम करना चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के लिए प्रशांत किशोर ने मांग कि राज्य में कांग्रेस की एक नई टीम को 2017 के विधानसभा चुनावों का नेतृत्व करना चाहिए, लेकिन यह मांग कई नेताओं को मंजूर नहीं हुआ।
प्रशांत किशोर की मांग
सूत्रों ने बताया कि प्रशांत किशोर चाहते हैं कि यूपी चुनाव के लिए कमलनाथ, गुलाम नबी आजाद और शीला दीक्षित जैसे दिग्गज कांग्रेस नेताओं की टीम बनाई जाए। सूत्रों ने कहा कि संभवत: इस महीने के अंत तक इस नई टीम की घोषणा की जा सकती है, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया गया तो इससे प्रशांत किशोर और कांग्रेस के रिश्तों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
पंजाब में भी सब ठीक नहीं
पंजाब में भी प्रशांत किशोर को कांग्रेस के एक धड़े के असंतोष का सामना करना पड़ा, जहां पार्टी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर अपने दायरे से बाहर जाकर काम करने की कोशिश कर रहे हैं। अमरिंदर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्हें चेताया भी था कि 'मैं पार्टी (पंजाब में) चला रहा हूं।'
कांग्रेस ने कहा- 'प्रशांत किशोर की भूमिका बस इतनी...'
सूत्रों ने बताया कि प्रशांत किशोर को फिलहाल राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का समर्थन हासिल है। लेकिन सोमवार को पार्टी ने उन्हें ढके छिपे तरीके से चेतावनी भी दी, जब पार्टी प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा कि प्रशांत किशोर को जिस वक्त पार्टी ने जिम्मेदारी सौंपी थी, उसी वक्त उन्हें साफ तौर पर बता दिया गया था कि वह सिर्फ चुनावी रणनीतिकार हैं और संगठन के मामलों और टिकट बंटवारे में उनकी कोई भूमिका नहीं होगी। प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों ने हाल ही में एनडीटीवी को बताया था कि कांग्रेस के साथ उनके (प्रशांत किशोर) रिश्ते सिर्फ नए विचार सुझाने और उन्हें मंजूर किए जाने या खारिज किए जाने भर तक सीमित नहीं है। बल्कि ये ऐसा रिश्ता है, जिसमें दोनों पक्ष प्रयास कर रहे हैं कि चुनावों में कैसे बेहतर रणनीति तैयार की जाए।
जब प्रशांत किशोर से इस पर प्रतिक्रिया देने को कहा गया- तो उन्होंने इसे पूरी तरह से अटकलबाजी करार दिया। मंगलवार को कांग्रेस नेता पीसी चाको ने कहा, हमें नहीं पता कि प्रशांत किशोर ने क्या कहा है या उनकी क्या योजना है, लेकिन हम आगामी चुनावों में उनकी सेवाओं का इस्तेमाल करना चाहते हैं।
विधानसभा चुनावों में एक के बाद एक हार का सामना कर रही कांग्रेस के लिए पंजाब और यूपी के चुनाव काफी अहम हैं।
यूपी के लिए प्रशांत किशोर की मांग से कई कांग्रेसी असहमत
पिछले साल नवंबर में बिहार चुनावों में नीतीश कुमार की बड़ी जीत के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रशांत किशोर को उत्तर प्रदेश और पंजाब में अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए रणनीति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इन दोनों राज्य में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि कांग्रेस के एक धड़े को ऐसा महसूस हो रहा है कि प्रशांत किशोर बाहरी व्यक्ति हैं और वह अपने दायरे से बाहर जाकर काम करना चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के लिए प्रशांत किशोर ने मांग कि राज्य में कांग्रेस की एक नई टीम को 2017 के विधानसभा चुनावों का नेतृत्व करना चाहिए, लेकिन यह मांग कई नेताओं को मंजूर नहीं हुआ।
प्रशांत किशोर की मांग
सूत्रों ने बताया कि प्रशांत किशोर चाहते हैं कि यूपी चुनाव के लिए कमलनाथ, गुलाम नबी आजाद और शीला दीक्षित जैसे दिग्गज कांग्रेस नेताओं की टीम बनाई जाए। सूत्रों ने कहा कि संभवत: इस महीने के अंत तक इस नई टीम की घोषणा की जा सकती है, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया गया तो इससे प्रशांत किशोर और कांग्रेस के रिश्तों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
पंजाब में भी सब ठीक नहीं
पंजाब में भी प्रशांत किशोर को कांग्रेस के एक धड़े के असंतोष का सामना करना पड़ा, जहां पार्टी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर अपने दायरे से बाहर जाकर काम करने की कोशिश कर रहे हैं। अमरिंदर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्हें चेताया भी था कि 'मैं पार्टी (पंजाब में) चला रहा हूं।'
कांग्रेस ने कहा- 'प्रशांत किशोर की भूमिका बस इतनी...'
सूत्रों ने बताया कि प्रशांत किशोर को फिलहाल राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का समर्थन हासिल है। लेकिन सोमवार को पार्टी ने उन्हें ढके छिपे तरीके से चेतावनी भी दी, जब पार्टी प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा कि प्रशांत किशोर को जिस वक्त पार्टी ने जिम्मेदारी सौंपी थी, उसी वक्त उन्हें साफ तौर पर बता दिया गया था कि वह सिर्फ चुनावी रणनीतिकार हैं और संगठन के मामलों और टिकट बंटवारे में उनकी कोई भूमिका नहीं होगी। प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों ने हाल ही में एनडीटीवी को बताया था कि कांग्रेस के साथ उनके (प्रशांत किशोर) रिश्ते सिर्फ नए विचार सुझाने और उन्हें मंजूर किए जाने या खारिज किए जाने भर तक सीमित नहीं है। बल्कि ये ऐसा रिश्ता है, जिसमें दोनों पक्ष प्रयास कर रहे हैं कि चुनावों में कैसे बेहतर रणनीति तैयार की जाए।
जब प्रशांत किशोर से इस पर प्रतिक्रिया देने को कहा गया- तो उन्होंने इसे पूरी तरह से अटकलबाजी करार दिया। मंगलवार को कांग्रेस नेता पीसी चाको ने कहा, हमें नहीं पता कि प्रशांत किशोर ने क्या कहा है या उनकी क्या योजना है, लेकिन हम आगामी चुनावों में उनकी सेवाओं का इस्तेमाल करना चाहते हैं।
विधानसभा चुनावों में एक के बाद एक हार का सामना कर रही कांग्रेस के लिए पंजाब और यूपी के चुनाव काफी अहम हैं।
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