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This Article is From Mar 19, 2011

विकीलीक्स की चपेट में अब आई बीजेपी

विकीलीक्स के नए खुलासे में पता चला है कि जब भारत−अमेरिकी रिश्तों की बात आती है तो बीजेपी और कांग्रेस में कोई फर्क नहीं है।
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New Delhi: विकीलीक्स धमाकों की चपेट में आने का कांग्रेस के बाद अब बीजेपी का नंबर है। नए खुलासों में पता चला है कि जब भारत−अमेरिकी रिश्तों की बात आती है तो बीजेपी और कांग्रेस में कोई फर्क नहीं है। द हिन्दू में छपे विकीलीक्स खुलासों के मुताबिक़ मुंबई में दिसंबर 2005 में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बीजेपी ने प्रस्ताव पास कर यूपीए पर अमेरीकीपरस्त विदेशी नीति अपनाने का आरोप लगाया था लेकिन अगले ही दिन कार्यकारिणी के सदस्य शेषाद्रि चारी ने अमेरिकी डिप्टी चीफ़ मिशन रॉबर्ट ब्लेक से कहा कि यह प्रस्ताव सिर्फ यूपीए से राजनीतिक बढ़त लेने के लिए है और इसमें ज्यादा कुछ नहीं है। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने भी इन बयानों का समर्थन किया और कहा कि बीजेपी भारत−अमेरिकी रिश्तों के बारे में चिंतित नहीं है बल्कि वह चाहती है कि दोनों सरकारें एटमी डील के बारे में ज्यादा खुल कर बताएं। इसी तरह एनडीए के अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी से अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों की बातचीत का भी खुलासा हुआ है जिसमें कहा गया है कि जब बीजेपी सत्ता में आएगी तो वो विपक्षी दल की तरह बर्ताव नहीं करेगी। अमेरिकी दूतावास के चार्ज द अफेयर्स पीटर बरले ने 13 मई 2009 को आडवाणी से मुलाकात के बाद केबल भेजा जिसके मुताबिक़ आडवाणी ने भारत−अमेरिकी परमाणु डील पर बीजेपी के विरोध को ज्यादा तरज़ीह नहीं दी और कहा कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो इस डील की कोई समीक्षा नहीं की जाएगी। केबल के मुताबिक आडवाणी ने कहा कि खासतौर से विदेश नीतियों के मामलों में सरकारों की नीतियों में बदलाव नहीं होता।

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