नई दिल्ली:
सुविधाओं से वंचित वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली 'मामूली पेंशन' का सांकेतिक विरोध करते हुए एक संस्था के बैनर तले इकट्ठा हुए करीब 130 बुजुर्गों ने एक दिन की पेंशन के तौर पर सात रुपये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे हैं।
ताकि बुजुर्गों की तकलीफों पर जाए सरकार का ध्यान
केंद्र पर बुजुर्गों के प्रति बेरुखी का आरोप लगाते हुए 'पेंशन परिषद' नाम की संस्था ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि बुजुर्गों की तकलीफ की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए ‘‘यह व्यंग्यात्मक कदम' उठाया गया है । उन्होंने कहा कि इस कदम का मकसद पेंशन में इजाफे की मांग करना भी है।
पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग
जानेमाने आरटीआई कार्यकर्ता अरुणा रॉय एवं निखिल डे और वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता बाबा अधव ने दावा किया कि 'देश में नौ करोड़ ऐसे बुजुर्ग हैं, जिन्हें बुनियादी पेंशन सुविधा प्राप्त नहीं है या उनके बुढ़ापे या आर्थिक स्थिति के हिसाब से उन्हें बेहद मामूली रकम दी जा रही है।' डे ने कहा, 'साल 2011 की जनगणना के आधार पर देश भर में करीब 10 करोड़ लोग पेंशन के लिए जरूरतमंद हैं और उन्हें इसे पाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से नौ करोड़ बहुत गरीब लोग हैं, जैसे - मजदूर, रिक्शा चलाने वाले, दिहाड़ी मजदूर, चाय बेचने वाले। वे काफी कम कमाते हैं। लिहाजा, हमें उनके जीवन को सम्मानित बनाने की जरूरत है।' उन्होंने कहा, 'हम उनके लिए प्रति माह 2,000 रुपये की पेंशन की मांग करते रहे हैं।'
रॉय ने कहा कि प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में '10 से ज्यादा राज्यों के 125 गरीब बुजुर्ग लोगों ने अपने नाम लिखकर या अंगूठे का निशान लगाकर दस्तखत किए हैं, ताकि अपना विरोध दर्ज करा सकें।' उन्होंने कहा, 'उन बुजुर्गों ने महज 200 रुपये की मासिक सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में से एक दिन की पेंशन यानी सात रुपये प्रधानमंत्री को देने का इरादा जाहिर किया है ताकि प्रधानमंत्री और संसद की प्राथमिकताओं के खिलाफ प्रदर्शन कर सकें।'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
ताकि बुजुर्गों की तकलीफों पर जाए सरकार का ध्यान
केंद्र पर बुजुर्गों के प्रति बेरुखी का आरोप लगाते हुए 'पेंशन परिषद' नाम की संस्था ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि बुजुर्गों की तकलीफ की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए ‘‘यह व्यंग्यात्मक कदम' उठाया गया है । उन्होंने कहा कि इस कदम का मकसद पेंशन में इजाफे की मांग करना भी है।
पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग
जानेमाने आरटीआई कार्यकर्ता अरुणा रॉय एवं निखिल डे और वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता बाबा अधव ने दावा किया कि 'देश में नौ करोड़ ऐसे बुजुर्ग हैं, जिन्हें बुनियादी पेंशन सुविधा प्राप्त नहीं है या उनके बुढ़ापे या आर्थिक स्थिति के हिसाब से उन्हें बेहद मामूली रकम दी जा रही है।' डे ने कहा, 'साल 2011 की जनगणना के आधार पर देश भर में करीब 10 करोड़ लोग पेंशन के लिए जरूरतमंद हैं और उन्हें इसे पाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से नौ करोड़ बहुत गरीब लोग हैं, जैसे - मजदूर, रिक्शा चलाने वाले, दिहाड़ी मजदूर, चाय बेचने वाले। वे काफी कम कमाते हैं। लिहाजा, हमें उनके जीवन को सम्मानित बनाने की जरूरत है।' उन्होंने कहा, 'हम उनके लिए प्रति माह 2,000 रुपये की पेंशन की मांग करते रहे हैं।'
रॉय ने कहा कि प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में '10 से ज्यादा राज्यों के 125 गरीब बुजुर्ग लोगों ने अपने नाम लिखकर या अंगूठे का निशान लगाकर दस्तखत किए हैं, ताकि अपना विरोध दर्ज करा सकें।' उन्होंने कहा, 'उन बुजुर्गों ने महज 200 रुपये की मासिक सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में से एक दिन की पेंशन यानी सात रुपये प्रधानमंत्री को देने का इरादा जाहिर किया है ताकि प्रधानमंत्री और संसद की प्राथमिकताओं के खिलाफ प्रदर्शन कर सकें।'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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