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This Article is From Nov 14, 2020

बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाना भाजपा की मजबूरी क्यों हैं

जो चुनाव परिणाम आये उससे साफ़ था कि अगर भाजपा अपने वादे से पीछे हटेगी तो राज्य में महगठबंधन की सरकार बननी तय हैं क्योंकि फ़ासला मात्र छह विधायकों का हैं.

बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाना भाजपा की मजबूरी क्यों हैं
पटना:

रविवार को एनडीए विधायक दल को बैठक में एक बार फिर निवर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को एक बार फिर नेता चुनने की औपचारिकता पूरी की जाएगी. रविवार को राज्यपाल के पास समर्थक दलों के समर्थन के पत्र के साथ दावा करने के बाद राज्यपाल नीतीश कुमार को संभवतः सोमवार को शपथ लेने का आमंत्रण भी देंगे .

लेकिन कई लोग ये सवाल कर रहे हैं कि आख़िर भाजपा जो एनडीए में सबसे बड़ी घटक दल बनकर उभरी हैं क्योंकि उसके पास नीतीश कुमार के 43 विधायक की तुलना में 74 विधायक हैं, उसके बाद भी ताज नीतीश कुमार के सिर पर पहनाने की क्या मजबूरी हैं?

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हालांकि भाजपा के नेताओं का कहना हैं कि ये सवाल इसलिए बेमानी हैं क्योंकि चुनाव पूर्व ही इस विषय पर हर तरह के अटकलों को विराम देते हुए साफ़ कर दिया गया था कि कोई किंतु परंतु नहीं संख्या जो भी हो मुख्य मंत्री नीतीश कुमार बनेंगे. चुनाव परिणाम आने के बाद या चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने इतना ही कहा कि उन्होंने इस विषय पर कभी कुछ नहीं कहा जो भी बात आई हैं वो भाजपा नेताओं के तरफ़ से आई हैं .

जो चुनाव परिणाम आये उससे साफ़ था कि अगर भाजपा अपने वादे से पीछे हटेगी तो राज्य में महगठबंधन की सरकार बननी तय हैं क्योंकि फ़ासला मात्र छह विधायकों का हैं . और रिज़ल्ट से दूसरी बात साफ़ हो गयी कि चिराग़ पासवान के कंधे और उनकी पार्टी का इस्तेमाल कर सबसे बड़ी पार्टी बनने का राज्य में इस चुनाव में उनका मंसूबा पूरा नहीं हो पाया भले नीतीश कुमार के उम्मीदवारों की हार में लोजपा उम्मीदवारो का वोट निर्णायक भूमिका अदा किया हैं .

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ये बात किसी से छिपी नहीं कि चिराग़ की पीठ पर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व का हाथ था नहीं तो वो चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो या भाजपा के अन्य नेता भाषण में जब विरोधियों का नाम लेने की बारी आती तो चिराग़ का नाम सब भूल जाते जिससे ज़मीन पर और अधिक कन्फ़्यूज़न बढ़ा .

इसके अलावा जनता दल यूनाइटेड के नेता कहते हैं कैसे भाजपा ने जैसे पर्दे के पीछे से केंद्रीय एजेन्सी जैसे आयकर विभाग या ईडी की कारवाई में जनता दल यूनाइटेड के नेताओं को निशाना बनाया उससे साफ़ था कि ऐसा चिराग़ के नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ अभियान को मज़बूत करने के लिए किया जा रहा हैं .

इस पृष्ठभूमि में भाजपा के नेता दबी ज़ुबान से स्वीकार करते हैं कि  उनका अपने बलबूते अस्सी से नब्बे सीट जीतने का लक्ष्य एक ओर ना सिर्फ धरा का धरा रह गया बल्कि चिराग़ के माध्यम से नीतीश कुमार को तीस से पैंतीस सीट पर सिमटने की पूरा योजना भी विफल हो गई .जिसके आधार पर उन्होंने अपना मुख्यमंत्री बनाने का लक्ष्य रखा था . ऐसे में जब सचाई की परत हर दिन खुल रही हैं वैसे में भाजपा नेता मान रहे हैं कि नीतीश को मुख्यमंत्री बिना किसी लाग लपेट के मानना उनकी मजबूरी हैं. 

नीतीश के बिहार में कैसी बहार

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