रामसेतु (Ram Setu) को ऐतिहासिक स्मारक (Historical Monuments) के रूप में मान्यता देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 9 मार्च को सुनवाई करेगा. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की है. उसी पर सुनवाई करते हुए CJI जस्टिस एन वी रमना ने जानना चाहा कि इस मामले में केंद्र का रुख क्या है ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब 9 मार्च को इस मामले की अगली सुनवाई करेंगे. दरअसल, स्वामी ने 2020 में भी रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले पर तीन महीने बाद विचार किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने तब केंद्र को एक हलफनामा दाखिल करके अपना रुख भी स्पष्ट करने को कहा था. सुब्रमण्यम स्वामी ने सर्वोच्च अदालत में साल 2018 में रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की याचिका दी थी. स्वामी ने ने अब कोर्ट में कहा है कि इतने साल हो गए लेकिन सरकार ने अभी तक याचिका का जवाब दाखिल नहीं किया. हालांकि मोदी सरकार रामसेतु मामले पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुकी है .
'राम सेतु' पर अमेरिकी चैनल के दावे के बाद बीजेपी ने कहा- यह हमारे रुख की पुष्टि करती है
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजना और राम सेतु के बारे में कहा था कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.
परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग तलाशेगी. स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि राम सेतु लाखों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है. इसे न तोड़ा जाए और रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए.
इससे पहले NDA सरकार ने सितंबर 2019 में दायर एक हलफनामे में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया था कि वह परियोजना के "सामाजिक-आर्थिक नुकसान" पर विचार कर रही है और 'रामसेतु 'शिपिंग चैनल परियोजना को नुकसान पहुंचाए बिना वैकल्पिक मार्ग तलाशने के लिए तैयार है.
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