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This Article is From Mar 31, 2021

पश्चिम बंगाल : नंदीग्राम में थम गया चुनाव प्रचार, 1 अप्रैल को वोटिंग, दांव पर दिग्गजों की साख

पश्चिम बंगाल (West Bengal Assembly Elections 2021) के नंदीग्राम (Nandigram Elections) में चुनावी शोर शांत हो गया है. यहां 1 अप्रैल को मतदान होगा.

पश्चिम बंगाल : नंदीग्राम में थम गया चुनाव प्रचार, 1 अप्रैल को वोटिंग, दांव पर दिग्गजों की साख
ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही हैं. (फाइल फोटो)
नंदीग्राम:

पश्चिम बंगाल (West Bengal Assembly Elections 2021) में एक अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान होगा. नंदीग्राम में चुनावी शोर शांत हो गया. अब फैसले की घड़ी है. मैदान में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee), शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) और संयुक्त मोर्चे की मीनाक्षी मुखर्जी (Meenakshi Mukherjee) के अलावा और भी उम्मीदवार हैं लेकिन मुख्यमंत्री के मैदान में होने से BJP ने पूरी ताकत झोंकी हुई है तो ममता व्हील चेयर से बैठकर विपक्ष को ललकार रही हैं.

चौंकिए मत यही बंगाल का कमाल है. दो पुराने सहयोगियों का ये नया मुकाबला है, जिसके लिए नंदीग्राम तैयार हो रहा है. प्रचार के आखिरी दिन (मंगलवार) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आए. उन्होंने 10 किलोमीटर लंबा रोड शो किया और दावा किया कि बीजेपी उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी भारी मतों से चुनाव जीत रहे हैं. वहीं दूसरी ओर CM ममता बनर्जी प्रचार के आखिरी दिन फिर व्हील चेयर पर निकलीं और शुभेंदु अधिकारी पर जमकर बरसीं. शुभेंदु हर रैली में उन्हें ममता बेगम बताते आ रहे हैं.

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शुभेंदु अधिकारी के लिए वोट मांगने मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) भी आए. वैसे इस नए संग्राम के लिए नंदीग्राम जाने वाली इस सड़क को फिर से बिछाया गया है. मुकाबला हाई प्रोफाइल है. रैलियों में रंग हैं लेकिन नंदीग्राम रुखा-सूखा और बेरंग है. रास्ते पोस्टर, बैनर-झंडों से पटे पड़े हैं. रैली में आने वाले लोग भी पार्टी की ही पोशाक सरीखे दिखते हैं.

हरिपुर नहर के किनारे चलते हुए कुछ दूरी पर रेयापाड़ा आता है. यहां विष्णपद भुइयां के दोमंजिला मकान में ममता बनर्जी का चुनावी कार्यालय है और उसी मकान में ममता के रहने के लिए कुछ कमरे भी हैं. पास में खेतों में हेलिपैड बनाया है. यहीं बीजेपी उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के प्रचार में दीवारें पुती हुई हैं और ममता के भी पोस्टर हैं.

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नंदीग्राम में 30 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. ऐसे में दोनों दल ध्रुवीकरण के इर्द गिर्द ताना बाना बुनने में जुटे हैं. ममता चंडीपाठ करती हैं तो शुभेंदु सीधे हिन्दुओं को खतरे में बताने लगते हैं. बेरुलिया में ममता को चोट लगी थी, मंगलवार को भी वो व्हील चेयर पर नजर आईं. वह ऐसे ही रोड शो कर रही हैं. ममता जगह-जगह अपनी चोट और नंदीग्राम संघर्ष का जिक्र भी करती हैं.

बीजेपी उम्मीदवार के अलावा एक और शख्स हैं, जिनकी वजह से मौजूदा मुख्यमंत्री को लगभग 8 दिनों तक नंदीग्राम की सड़कों पर उतरना पड़ा है और वो हैं संयुक्त मोर्चे की युवा प्रत्याशी मीनाक्षी मुखर्जी. मीनाक्षी के पास न तो चॉपर है, न गाड़ियों का रेला, वो पैदल चलती हैं या खुले ऑटो में. वह 17 पंचायतों तक घूमती रही हैं. उनके भाषण में धर्म नहीं है, रोजगार है.

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मीनाक्षी मुखर्जी ने कहा, 'जनबल होता तो रोजगार, किसानों की बात होती है, ये ममता-बीजेपी ए टीम और बी टीम है. अगर चुनाव आयोग, पुलिस सही हो तो चुनाव जीतूंगी.' इन सबके बीच फिलहाल नंदीग्राम की जनता बोलती है. कोई रोजगार चाहता है तो कोई रोटी, किसी को ममता पर भरोसा है तो किसी को शुभेंदु पर.

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