यह ख़बर 14 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

सुप्रीम कोर्ट ने शहीद कालिया के परिवार से कहा, हम आपकी पीड़ा समझते हैं

खास बातें

  • 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने कैप्टन कालिया को बंदी बनाने के बाद अमानवीय यातनाएं देकर मार डाला था और बाद में उनके क्षत-विक्षत शरीर को उनके परिवार को भेज दिया था।
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर यह पूछा है कि क्या सरकार कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन सौरभ कालिया के मामले को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उठाएगी या नहीं।

वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने कैप्टन कालिया को बंदी बनाने के बाद अमानवीय यातनाएं देकर मार डाला था और बाद में उनके क्षत-विक्षत शरीर को उनके परिवार को भेज दिया था।

कैप्टन कालिया के पिता एनके कालिया का कहना है कि उनके बेटे के साथ किया गया व्यवहार साफ तौर पर जेनेवा समझौते का उल्लंघन है, परंतु भारत सरकार ने पाकिस्तान के समक्ष इस मामले को उठाने में संवेदनहीनता बरती।

एनके कालिया की याचिका पर सुनवाई कर रहे जजों ने कहा, हम आपकी पीड़ा को पूरी तरह समझते हैं, परंतु इसमें कोर्ट की क्या भूमिका हो सकती है? क्या हम भारत सरकार को इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उठाने के लिए निर्देश दे सकते हैं?

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उन्होंने यह भी कहा, यह एक महत्वपूर्ण मसला है और यदि सरकार चाहे, तो वह इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जा सकती है और इसमें हमारे हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। हालांकि कोर्ट ने कालिया की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए सरकार को 10 हफ्ते का समय दिया है।