दिल्ली की एक अदालत ने हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल गोयल कांडा की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला मंगलवार को सुरक्षित रख लिया। कांडा पूर्व विमान परिचारिका गीतिका शर्मा की खुदकुशी मामले में वांछित हैं।
कांडा के वकील और दिल्ली पुलिस की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति पीके भसीन ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने पूछताछ के लिए कांडा की हिरासत की मांग की, ताकि कांडा और उनकी कम्पनी की वरिष्ठ अधिकारी अरुणा चड्ढा के बीच साजिश का पता चल सके।
कांडा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि सुसाइड नोट को 'पूर्ण सत्य' नहीं माना जा सकता। कांडा अग्रिम जमानत चाहते हैं।
तुलसी ने कहा, "सुसाइड नोट गुस्से में लिखे हुए होते हैं और कोई आरोप गुस्से में लगाए जा सकते हैं।" उन्होंने कहा कि गीतिका के लिखे सुसाइड नोटों को पूर्ण नहीं माना जा सकता।
ज्ञात हो कि विमान परिचारिका रह चुकी युवती ने चार-पांच अगस्त की रात अपने घर में पंखे में फंदा डालकर फांसी लगा ली थी। उसने दो सुसाइड नोट लिखे थे, जिनमें उसने आत्महत्या के लिए कांडा और कांडा की कम्पनी की वरिष्ठ अधिकारी अरुणा चड्ढा को जिम्मेदार ठहराया था। अरुणा गिरफ्तार हो चुकी है, जबकि कांडा भूमिगत हो गए हैं।
तुलसी ने कांडा की तरफ से कहा, "हो सकता है, वह मुझे अच्छी लगती हो या मैं उसे अच्छा लगता होऊं लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि मैंने उसे आत्महत्या के लिए उकसाया।" उन्होंने कहा कि गीतिका की आत्महत्या के लिए कांडा को जिम्मेदार ठहराने के लिए कुछ अन्य सबूत जरूरी हैं।
तुलसी ने कहा, "निचली अदालत ने अग्रिम जमानत खरिज करते हुए जो कारण बताए हैं, वे हैं अधिकार का दुरुपयोग, गीतिका के प्रति अधिक मेहरबानी दिखाना और उसका शोषण करना, लेकिन ये अपराध आत्महत्या के लिए उकसाने के दायरे में नहीं आते।" उन्होंने कहा कि गीतिका एक स्वाभिमानी लड़की थी और वह आत्महत्या के लिए नहीं सोच सकती थी।
तुलसी ने कांडा की ओर से दलील दी, "यहां तक कि उसकी मां और उसका भाई भी नहीं जानता था कि वह आत्महत्या कर सकती है तो फिर मुझे कैसे पता चल सकता है।"
वहीं, सिद्धार्थ लूथरा ने कांडा की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा, "वह जांच में सहयोग नहीं दे रहे हैं तथा अपने कार्यालय से उन्होंने लैपटॉप और कम्यूटरों सहित सभी इलेक्ट्रॉनिक सामान हटवा लिए हैं। ऐसे में उन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए।"
पुलिस के वकील ने अदालत से कहा, "हमें जांच में समस्या आ रही है। जब हम कांडा के दफ्तर में पहुंचे तो वहां से सभी कम्यूटर हटाए जा चुके थे।" उन्होंने अदालत से अपील की कि कांडा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी जाए, क्योंकि जांच में सहयोग के लिए नोटिस दि जाने के बावजूद वह फरार हो गए।
लूथरा ने कहा कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और हिरासत में लेकर कांडा से पूछताछ करना जरूरी है।
गौरतलब है कि सत्र न्यायाधीश की अदालत ने कांडा की अग्रिम जमानत याचिका छह अगस्त को यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनके खिलाफ आरोप चिंताजनक और संगीन हैं और उनकी याचिका में ऐसी कोई खूबी नहीं है, जिस आधार पर जमानत दे दी जाए।
कांडा के खिलाफ गीतिका को आत्महत्या के लिए उकसाने और धमकाने का मामला दर्ज है।
कांडा ने छोटे व्यवसायी के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और बाद में प्रॉपर्टी डीलर बनकर करोड़ों में खेलने लगे। वर्ष 2007 में उन्होंने एमडीएलआर एयरलाइंस की शुरुआत की थी।
अक्टूबर 2009 के चुनाव में वह सिरसा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हरियाणा विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को समर्थन देकर मंत्री पद हासिल की थी।
कांडा के वकील और दिल्ली पुलिस की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति पीके भसीन ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने पूछताछ के लिए कांडा की हिरासत की मांग की, ताकि कांडा और उनकी कम्पनी की वरिष्ठ अधिकारी अरुणा चड्ढा के बीच साजिश का पता चल सके।
कांडा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि सुसाइड नोट को 'पूर्ण सत्य' नहीं माना जा सकता। कांडा अग्रिम जमानत चाहते हैं।
तुलसी ने कहा, "सुसाइड नोट गुस्से में लिखे हुए होते हैं और कोई आरोप गुस्से में लगाए जा सकते हैं।" उन्होंने कहा कि गीतिका के लिखे सुसाइड नोटों को पूर्ण नहीं माना जा सकता।
ज्ञात हो कि विमान परिचारिका रह चुकी युवती ने चार-पांच अगस्त की रात अपने घर में पंखे में फंदा डालकर फांसी लगा ली थी। उसने दो सुसाइड नोट लिखे थे, जिनमें उसने आत्महत्या के लिए कांडा और कांडा की कम्पनी की वरिष्ठ अधिकारी अरुणा चड्ढा को जिम्मेदार ठहराया था। अरुणा गिरफ्तार हो चुकी है, जबकि कांडा भूमिगत हो गए हैं।
तुलसी ने कांडा की तरफ से कहा, "हो सकता है, वह मुझे अच्छी लगती हो या मैं उसे अच्छा लगता होऊं लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि मैंने उसे आत्महत्या के लिए उकसाया।" उन्होंने कहा कि गीतिका की आत्महत्या के लिए कांडा को जिम्मेदार ठहराने के लिए कुछ अन्य सबूत जरूरी हैं।
तुलसी ने कहा, "निचली अदालत ने अग्रिम जमानत खरिज करते हुए जो कारण बताए हैं, वे हैं अधिकार का दुरुपयोग, गीतिका के प्रति अधिक मेहरबानी दिखाना और उसका शोषण करना, लेकिन ये अपराध आत्महत्या के लिए उकसाने के दायरे में नहीं आते।" उन्होंने कहा कि गीतिका एक स्वाभिमानी लड़की थी और वह आत्महत्या के लिए नहीं सोच सकती थी।
तुलसी ने कांडा की ओर से दलील दी, "यहां तक कि उसकी मां और उसका भाई भी नहीं जानता था कि वह आत्महत्या कर सकती है तो फिर मुझे कैसे पता चल सकता है।"
वहीं, सिद्धार्थ लूथरा ने कांडा की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा, "वह जांच में सहयोग नहीं दे रहे हैं तथा अपने कार्यालय से उन्होंने लैपटॉप और कम्यूटरों सहित सभी इलेक्ट्रॉनिक सामान हटवा लिए हैं। ऐसे में उन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए।"
पुलिस के वकील ने अदालत से कहा, "हमें जांच में समस्या आ रही है। जब हम कांडा के दफ्तर में पहुंचे तो वहां से सभी कम्यूटर हटाए जा चुके थे।" उन्होंने अदालत से अपील की कि कांडा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी जाए, क्योंकि जांच में सहयोग के लिए नोटिस दि जाने के बावजूद वह फरार हो गए।
लूथरा ने कहा कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और हिरासत में लेकर कांडा से पूछताछ करना जरूरी है।
गौरतलब है कि सत्र न्यायाधीश की अदालत ने कांडा की अग्रिम जमानत याचिका छह अगस्त को यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनके खिलाफ आरोप चिंताजनक और संगीन हैं और उनकी याचिका में ऐसी कोई खूबी नहीं है, जिस आधार पर जमानत दे दी जाए।
कांडा के खिलाफ गीतिका को आत्महत्या के लिए उकसाने और धमकाने का मामला दर्ज है।
कांडा ने छोटे व्यवसायी के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और बाद में प्रॉपर्टी डीलर बनकर करोड़ों में खेलने लगे। वर्ष 2007 में उन्होंने एमडीएलआर एयरलाइंस की शुरुआत की थी।
अक्टूबर 2009 के चुनाव में वह सिरसा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हरियाणा विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को समर्थन देकर मंत्री पद हासिल की थी।
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