पीलीभीत:
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत की स्थानीय अदालत ने करीब चार साल पुराने भड़काऊ भाषण के एक मामले में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद वरुण गांधी को बरी कर दिया।
पीलीभीत के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) अब्दुल कय्यूम ने लोकसभा चुनाव के दौरान मार्च 2009 में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में वरुण के खिलाफ सदर कोतवाली में दर्ज हुए मुकदमे में उन्हें बरी कर दिया।
साल 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान वरुण के खिलाफ सदर कोतवाली और बरखेड़ा कस्बे थाना क्षेत्र भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था और इस संबंध में उनके खिलाफ कोतवाली और बरखेड़ा पुलिस थाने पर दो मुकदमे दर्ज किए गए थे।
सदर कोतवाली के मामले में वरुण आज अदालत द्वारा बरी कर दिए गए। बरखेड़ा मामले में दर्ज मुकदमे की सुनवाई 1 मार्च को होनी है।
गौरतलब है कि वरुण गांधी पर नफरत फैलान के भाषण में यूपी की मायावती सरकार ने मुकदमा दायर किया था। दो स्थानों पर वरुण ने ऐसे बयान दिए थे जो तथाकथित रूप आपत्तिजनक थे। मायावती सरकार ने वरुण गांधी पर एनएसए कानून भी लगा दिया था। इसी मामले में वरुण गांधी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था और बतौर सांसद उन्होंने आत्मसमर्पण किया था जिसके बाद उन्हें कुछ दिन जेल में भी बिताना पड़ा था। तब से वरुण गांधी जमानत पर रिहा हैं।
आज जिस मामले में वरुण गांधी बरी हुए हैं उसमें उनके खिलाफ 51 गवाह थे जिनमें से कोर्ट में एक ने भी अपनी गवाही नहीं थे और इस मामले में पुलिस के पास उनके भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं थी जबकि दूसरे मामले में पुलिस के पास वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध है। इस मामले में पुलिस ने अभी तक वरुण गांधी की आवाज का नमूना नहीं लिया है।
(इनपुट आईएएनएस से भी)
पीलीभीत के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) अब्दुल कय्यूम ने लोकसभा चुनाव के दौरान मार्च 2009 में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में वरुण के खिलाफ सदर कोतवाली में दर्ज हुए मुकदमे में उन्हें बरी कर दिया।
साल 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान वरुण के खिलाफ सदर कोतवाली और बरखेड़ा कस्बे थाना क्षेत्र भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था और इस संबंध में उनके खिलाफ कोतवाली और बरखेड़ा पुलिस थाने पर दो मुकदमे दर्ज किए गए थे।
सदर कोतवाली के मामले में वरुण आज अदालत द्वारा बरी कर दिए गए। बरखेड़ा मामले में दर्ज मुकदमे की सुनवाई 1 मार्च को होनी है।
गौरतलब है कि वरुण गांधी पर नफरत फैलान के भाषण में यूपी की मायावती सरकार ने मुकदमा दायर किया था। दो स्थानों पर वरुण ने ऐसे बयान दिए थे जो तथाकथित रूप आपत्तिजनक थे। मायावती सरकार ने वरुण गांधी पर एनएसए कानून भी लगा दिया था। इसी मामले में वरुण गांधी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था और बतौर सांसद उन्होंने आत्मसमर्पण किया था जिसके बाद उन्हें कुछ दिन जेल में भी बिताना पड़ा था। तब से वरुण गांधी जमानत पर रिहा हैं।
आज जिस मामले में वरुण गांधी बरी हुए हैं उसमें उनके खिलाफ 51 गवाह थे जिनमें से कोर्ट में एक ने भी अपनी गवाही नहीं थे और इस मामले में पुलिस के पास उनके भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं थी जबकि दूसरे मामले में पुलिस के पास वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध है। इस मामले में पुलिस ने अभी तक वरुण गांधी की आवाज का नमूना नहीं लिया है।
(इनपुट आईएएनएस से भी)
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