उत्तराखंड: दो से अधिक बच्चे वाले प्रत्याशी भी लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, SC ने हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया

राज्य सरकार ने कहा था कि ये राष्ट्र हित में नहीं होगा कि दो से ज्यादा बच्चे वाले उम्मीदवार चुनाव लड़ें.

उत्तराखंड: दो से अधिक बच्चे वाले प्रत्याशी भी लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, SC ने हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली:

उत्तराखंड के पंचायत चुनाव में अब दो से अधिक बच्चे वाले प्रत्याशी भी चुनाव लड़ पाएंगे. दरअसल, इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है जिसमें दो से अधिक बच्चे वाले उम्मीदवारों को भी चुनाव लड़ने देने की बात कही की थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम राज्य में होने वाले पंचायत चुनाव में किसी तरह का दखल नहीं देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर हाईकोर्ट के याचिकाकर्ताओं को नोटिस भी जारी किया है. बता दें कि पंचायत चुनाव में दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों को मौका नहीं देने को लेकर उत्तराखंड सरकार ने अपना तर्क दिया था.राज्य सरकार ने कहा था कि ये राष्ट्र हित में नहीं होगा कि दो से ज्यादा बच्चे वाले उम्मीदवार चुनाव लड़ें. बाद में यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने राज्य सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी. हाईकोर्ट के इसी आदेश को राज्य सरकार ने बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

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कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस बार यह नियम लागू होगा. यानी इस संशोधन को लागू करने की कटऑफ डेट 25 जुलाई 2019 होगी. इसका साफ मतलब यह हुआ कि इस तारीख के बाद दो से अधिक च्चे वाले प्रत्याशी पंचायत चुनाव लड़ने के अयोग्य माने जाएंगे. जबकि 25 जुलाई 2019 से पहले जिनके तीन बच्चे हैं, वह चुनाव लड़ सकेंगे.

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गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने इस साल जून में एक विधेयक पारित किया था. जिसमें कहा गया था कि अब दो से अधिक बच्चे वाले उम्मीदवार पंचायत चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. साथ ही चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम योग्यता भी तय की गई थी. उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम 2016 (संशोधन) विधेयक को सदन में पेश किया गया था. इसे विपक्षी सदस्यों के कई मुद्दों पर नाराजगी व उग्र व्यवहार के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया था. विपक्ष के मुद्दों में पहाड़ी राज्य में बिगड़ती कानून व व्यवस्था की हालत भी शामिल थी.  

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इस विधेयक को पंचायत चुनावों से पहले राज्यपाल से मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. बता दें कि पंचायत चुनाव इस साल के अंत में होने हैं. संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा था कि विधेयक का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है और उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी निर्धारित करना है. उन्होंने कहा था कि हमने सभी पंचायत सदस्यों की शैक्षिक योग्यता निर्धारित की है. सामान्य वर्ग में, न्यूनतम योग्यता कक्षा 10 है. एससी/ एसटी श्रेणियों में पुरुषों के लिए न्यूनतम योग्यता कक्षा 8 और महिलाओं के लिए कक्षा 5 है". विधेयक किसी भी पंचायत सदस्य द्वारा एक साथ दो पद रखने पर प्रतिबंध लगाता है.