पटना:
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर एक बार फिर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार भगवान भरोसे चल रही है।
राष्ट्रपति चुनाव के बाद एक बार फिर पेट्रोल की कीमतों में बढोतरी के संबंध में संवाददाताओं के प्रश्नों का जवाब देते हुए नीतीश ने कहा, ‘केंद्र सरकार भगवान भरोसे चल रही है। वर्तमान सरकार को आम आदमी की चिंता नहीं है। महंगाई बढ़ती है तो बढे़ लेकिन आम लोगों की इस सरकार को कोई परवाह नहीं है।’ मुख्यमंत्री कैबिनेट की बैठक के बाद सचिवालय भवन में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा देश में सूखे के संबंध में आपात बैठक किये जाने के एक प्रश्न पर नीतीश कुमार ने कहा, ‘केंद्र सूखा जैसी स्थिति मानता है तो उसे आपदा से पीड़ित लोगों के लिए अपने खजाने का मुंह खोल देना चाहिए। मदद देने में भेदभाव नहीं करनी चाहिए।’ उन्होंने कहा, बिहार अपने संसाधनों से सूखे से निपटने की तैयारी में लगा हुआ है। राज्य संभावित सूखे को लेकर मदद नहीं मांगेगा। देश में महंगाई की समस्या और सूखे की आशंका के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के रुठने के मामले में मुख्यमंत्री ने कहा, यह राकांपा का अंदरुनी मामला है। केंद्र में कब नाराजगी होगी और कब सहमति, कहना मुश्किल है।
राष्ट्रपति चुनाव के बाद एक बार फिर पेट्रोल की कीमतों में बढोतरी के संबंध में संवाददाताओं के प्रश्नों का जवाब देते हुए नीतीश ने कहा, ‘केंद्र सरकार भगवान भरोसे चल रही है। वर्तमान सरकार को आम आदमी की चिंता नहीं है। महंगाई बढ़ती है तो बढे़ लेकिन आम लोगों की इस सरकार को कोई परवाह नहीं है।’ मुख्यमंत्री कैबिनेट की बैठक के बाद सचिवालय भवन में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा देश में सूखे के संबंध में आपात बैठक किये जाने के एक प्रश्न पर नीतीश कुमार ने कहा, ‘केंद्र सूखा जैसी स्थिति मानता है तो उसे आपदा से पीड़ित लोगों के लिए अपने खजाने का मुंह खोल देना चाहिए। मदद देने में भेदभाव नहीं करनी चाहिए।’ उन्होंने कहा, बिहार अपने संसाधनों से सूखे से निपटने की तैयारी में लगा हुआ है। राज्य संभावित सूखे को लेकर मदद नहीं मांगेगा। देश में महंगाई की समस्या और सूखे की आशंका के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के रुठने के मामले में मुख्यमंत्री ने कहा, यह राकांपा का अंदरुनी मामला है। केंद्र में कब नाराजगी होगी और कब सहमति, कहना मुश्किल है।
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