पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता जाहिर तौर पर अपना खेमा बदल रहे हैं. राज्य में चुनाव होने में एक महीने से भी कम समय बचा है. पिछले कुछ हफ्तों से अटकलें लगाई जा रही थीं कि इमरान मसूद जो कि क्षेत्र में पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं, समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे. इसके बारे में पूछे जाने पर मसूद ने स्वीकार किया कि उन्होंने कल अपने समर्थकों की एक वर्चुअल बैठक बुलाई है. हालांकि उन्होंने कहा कि आगे का रास्ता उनसे चर्चा के बाद ही तय किया जा सकता है.
मसूद ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि "उत्तर प्रदेश में मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच है."
मसूद ने 2007 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय के रूप में जीता था. साल 2012 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और हार गए. फिर 2013 में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. इसके अगले साल वह कांग्रेस में वापस आ गए और सहारनपुर से 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा. हालांकि वह दोनों चुनाव हारे.
मसूद के पास अपने क्षेत्र में समर्थकों का एक बड़ा समूह है, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय से, जिनकी आबादी 42 प्रतिशत है.
साल 2014 में मसूद को एक चुनाव अभियान के दौरान कथित रूप से नफरत भरे भाषण के लिए गिरफ्तार किया गया था और जेल में डाल दिया गया था. तब उन्होंने कथित तौर पर "नरेंद्र मोदी को टुकड़े-टुकड़े करने" की धमकी दी थी. बाद में उन्होंने NDTV को बताया कि उन्होंने कभी भी मोदी को जान से मारने की धमकी नहीं दी थी. उन्होंने कहा कि "मेरा मतलब था कि मैं उन्हें सबक सिखाऊंगा."
इमरान मसूद सहारनपुर से पांच बार के कांग्रेस लोकसभा सांसद राशिद मसूद के भतीजे हैं. राशिद मसूद की 2020 में मृत्यु हो गई. राशिद मसूद को कांग्रेस ने चार बार राज्यसभा के लिए भी मनोनीत किया था.
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