Triple Talaq Bill: विपक्ष के भारी विरोध के बीच लोकसभा से तीन तलाक बिल पास 

विपक्ष के भारी विरोध के बीच तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) लोकसभा से पास हो गया. वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में 303 वोट, जबकि विरोध में 82 मत डाले गए.

खास बातें

  • लोकसभा में तीन तलाक बिल पास
  • बिल के पक्ष में 303, विपक्ष में 82 वोट पड़े
  • बीजेडी ने बिल के पक्ष में वोट किया
नई दिल्ली:

विपक्ष के भारी विरोध के बीच तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) लोकसभा से पास हो गया. वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में 303 वोट, जबकि विरोध में 82 मत डाले गए. बता दें कि वोटिंग से पहले संसद से जेडीयू, टीआरएस, YSR कांग्रेस और TMC का वॉकआउट कर दिया. जेडीयू, टीएमसी वोट से अलग रहीं, वहीं, बीजेडी ने बिल के पक्ष में वोट किया. टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस बिल के खिलाफ रही. इससे पहले बिल पर चर्चा के दौरान लैंगिक न्याय को नरेंद्र मोदी सरकार का मूल तत्व बताते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक पर रोक लगाने संबंधी विधेयक सियासत, धर्म, सम्प्रदाय का प्रश्न नहीं है बल्कि यह 'नारी के सम्मान और नारी-न्याय' का सवाल है और हिन्दुस्तान की बेटियों के अधिकारों की सुरक्षा संबंधी इस पहल का सभी को समर्थन करना चाहिए.  

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वहीं, AIMIM नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बिल में आप कह रहे हैं कि अगर किसी पति ने पत्नी को तीन बार तलाक कह दिया तो शादी नहीं टूटती, सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी यही कहता है फिर आप ये क्यों कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये महिलाओं के खिलाफ है. जब 3 साल की सजा हो जाए, पति जेल में रहे तो औरत 3 साल तक इंतजार करें. और जब 3 साल के बाद वो वापस आए तो क्या कहे कि बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है. ओवैसी ने कहा कि आप एक प्रावधान लाइये कि अगर कोई ट्रिपल तलाक देता है तो मेहर की रकम का 5 गुना उसे भरना पड़े.

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कांग्रेस का विरोध, सलेक्ट कमेटी भेजने की मांग
कांग्रेस ने तीन तलाक को निषेध करने वाले विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की मांग करते हुए कहा कि तीन तलाक को फौजदारी का मामला बनाना उचित नहीं है. लोकसभा में 'मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019' पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि भाजपा की तरफ से यह भ्रांति फैलाई जा रही है कि हमारी पार्टी का रुख स्पष्ट नहीं है. हम साफ करना चाहते हैं कि हमारा रुख स्पष्ट है. तीन तलाक के खिलाफ उच्चतम न्यायालय के फैसले का सबसे पहले कांग्रेस ने स्वागत किया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का विरोध सिर्फ तीन तलाक को इसे फौजदारी मामला बनाने से है, जबकि यह दीवानी मामला है.

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गोगोई ने इस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की. उन्होंने कहा कि लाखों हिंदू महिलाओं को उनके पतियों ने छोड़ दिया है, उनकी चिंता क्यों नहीं की जा रही है? इससे पहले कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने भी विधेयक का विरोध किया और कहा कि इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए और पतियों से अलग रहने को मजबूर सभी धर्मों की महिलाओं के लिए एक कानून बनना चाहिए. उन्होंने इस विधेयक को संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ करार देते हुए दावा किया कि यह विधेयक मुसलमानों की बर्बादी के लिए लाया गया है. जावेद ने सवाल किया कि जब मुस्लिम पुरुष जेल में होगा तो पीड़ित महिला को गुजारा भत्ता कौन देगा?

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उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार ने पहले मुस्लिम पुरुषों को आतंकवाद के नाम पर जेल में डाला, फिर भीड़ द्वारा हिंसा के जरिए निशाना बनाया और अब इस प्रस्तावित कानून के जरिए उनको जेल में डालना चाहती है. कांग्रेस सांसद ने कि अगर सत्तारूढ़ पार्टी मुस्लिम महिलाओं के हित के बारे में इतना सोचती है तो उसके 303 सांसदों में एक भी मुस्लिम महिला क्यों नहीं है? उन्होंने सवाल किया कि सरकार को भीड़ द्वारा हिंसा के शिकार परिवारों की चिंता क्यों नहीं हो रही है? जावेद ने आरोप लगाया कि इस सरकार में अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है.  

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बिल में क्या हैं प्रावधान:

  • तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना
  • तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ़्तार कर सकती है
  • तीन साल तक की सजा का प्रावधान है
  • यह संज्ञेय तभी होगा जब या तो खुद महिला शिकायत करे या फिर उसका कोई सगा-संबंधी
  • मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है. जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा
  • पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है
  • पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है
  • इसकी रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा
  • पीड़ित महिला नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है. इसके बारे में मजिस्ट्रेट तय करेगा