
यशवंत सिन्हा (फाइल फोटो)
- यशवंत सिन्हा से मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ और शब्बीर शाह भी मिले
- तीन दिन के दौरे में सबने एक राय इस डेलिगेशन के आगे रखी
- बातचीत सब चाहते हैं लेकिन चाहते है कि केंद्र पहले पहल करे
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:
कश्मीर में ट्रैक-2 कूटनीति के तौर पर पिछले दिनों यशवंत सिन्हा ने जो पहल की, क्या उसका असर पड़ेगा? केंद्र सरकार ने भले ही कहा हो कि यशवंत सिन्हा के इस दौरे से उसका कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता की इस पहल को वहां बंद दरवाज़े खोलने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
शायद यही वजह थी कि जब इस बार बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के घर पहुंचे तो उन्हें उनके किवाड़ खुले मिले. यही नहीं यशवंत सिन्हा और उनके साथ गए चार अन्य लोगों से गिलानी के अलावा मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ और शब्बीर शाह भी मिले.
एनडीटीवी को जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक़ इस डेलिगेशन से क़रीब 12 अलग-अलग धाराओं के नुमाइंदे मिले जिसमें चैंबर ऑफ कॉमर्स, कश्मीर इकोनॉमिक अलायंस, टीचर, वक़ील, होटल मालिक और सिवल लिबर्टी के लोग शामिल थे. यानी वो सब मिले जिन्होंने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया था. इसे नई छोटी पहल माना जा रहा है.
तीन दिन के दौरे में सबने एक राय इस डेलगेशन के आगे रखी. बातचीत भी सब चाहते हैं लेकिन चाहते है कि केंद्र पहले पहल करे. सबको औपचारिक तौर पर आमंत्रित किया जाए. आमंत्रण केंद्र की तरफ़ से आए. हालांकि सबकी राय पुरानी थी कि कश्मीर को विवादित क्षेत्र माना और बिना शर्त कश्मीर पर वार्ता की जाए. इसके अलावा ये भी कहा गया कि हिंसा का दौर बंद किया जाए और जो नौजवान सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ़्तार किए हैं उन्हें रिहा किया जाए.
राज्य पुलिस ने अभी तक 450 लोगों को पब्लिक सेफ़्टी ऐक्ट के तहत गिरफ़्तार किया है और 5000 के क़रीब नौजवानों को पथर फेंकने के लिए. हालांकि ज़्यादातर जमानत पर छूट गए हैं और अब सिर्फ़ 800 के आस पास लोग पुलिस गिरफ़्त में हैं. ये गुट अब दिल्ली लौट आया है और जल्द अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपेंगा.
शायद यही वजह थी कि जब इस बार बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के घर पहुंचे तो उन्हें उनके किवाड़ खुले मिले. यही नहीं यशवंत सिन्हा और उनके साथ गए चार अन्य लोगों से गिलानी के अलावा मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ और शब्बीर शाह भी मिले.
एनडीटीवी को जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक़ इस डेलिगेशन से क़रीब 12 अलग-अलग धाराओं के नुमाइंदे मिले जिसमें चैंबर ऑफ कॉमर्स, कश्मीर इकोनॉमिक अलायंस, टीचर, वक़ील, होटल मालिक और सिवल लिबर्टी के लोग शामिल थे. यानी वो सब मिले जिन्होंने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया था. इसे नई छोटी पहल माना जा रहा है.
तीन दिन के दौरे में सबने एक राय इस डेलगेशन के आगे रखी. बातचीत भी सब चाहते हैं लेकिन चाहते है कि केंद्र पहले पहल करे. सबको औपचारिक तौर पर आमंत्रित किया जाए. आमंत्रण केंद्र की तरफ़ से आए. हालांकि सबकी राय पुरानी थी कि कश्मीर को विवादित क्षेत्र माना और बिना शर्त कश्मीर पर वार्ता की जाए. इसके अलावा ये भी कहा गया कि हिंसा का दौर बंद किया जाए और जो नौजवान सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ़्तार किए हैं उन्हें रिहा किया जाए.
राज्य पुलिस ने अभी तक 450 लोगों को पब्लिक सेफ़्टी ऐक्ट के तहत गिरफ़्तार किया है और 5000 के क़रीब नौजवानों को पथर फेंकने के लिए. हालांकि ज़्यादातर जमानत पर छूट गए हैं और अब सिर्फ़ 800 के आस पास लोग पुलिस गिरफ़्त में हैं. ये गुट अब दिल्ली लौट आया है और जल्द अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपेंगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
यशवंत सिन्हा, बीजेपी, ट्रैक-2 कूटनीति, सैयद अली शाह गिलानी, कश्मीर के हालात, मीरवाइज उमर फारूक, Yashwant Sinha, BJP, Track 2 Politics, Sayed Ali Shah Geelani, Kashmir Situation