सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को पर्यावरण (Environment) संबंधी मुद्दों के अलावा वन्यजीवों (Wildlife) से संबंधित मामलों की भी सुनवाई करनी चाहिए. एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि वन्यजीव अधिनियम के मुद्दे राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के तहत होना उचित होगा. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने केंद्र से कहा कि आपने वन्यजीव अधिनियम भी एनजीटी को क्यों नहीं सौंपा. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हम इसे करेंगे.
दरअसल फिलहाल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा केवल पर्यावरणीय मुद्दों को निपटाया जाता है. यह मुद्दा तब उठा जब चीफ जस्टिस की बेंच ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की सुरक्षा को लेकर सुनवाई कर रही थी जो उच्च वोल्टेज ओवरहेड पावर लाइनों के साथ टकराने के कारण बड़ी संख्या में मर रहे हैं.
इस साल फरवरी में शीर्ष अदालत ने राजस्थान सरकार से भूमिगत केबल बिछाने पर विचार करने को कहा था. याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया कि अंतिम समाधान गुजरात और राजस्थान में उन क्षेत्रों तक पहुंचाया जाए जहां ग्रेट इंडियन बस्टर्ड प्रजनन कर रहा है. वहां पॉवरलाइन, पवन चक्कियां नहीं हों. याचिकाकर्ता के लिए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि डायवर्टर, एक डिस्क प्रकार की चीज, ओवरहेड पावर लाइनों पर स्थापित की जा सकती है ताकि पक्षी इसे देख सकें और खतरे को समझ सकें.
केंद्र के लिए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस मुद्दे को जब्त कर लिया है और फरवरी में ही पक्षी डायवर्टर स्थापित करने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल नियुक्त किया था और एडवाइजरी जारी की गई थी. एजी ने यह भी कहा कि केंद्रीय बिजली प्राधिकरण का कहना है कि भूमिगत बिजली केबल बिछाना उचित नहीं है.
श्याम दीवान ने तर्क दिया कि एनजीटी के पास वन्यजीव कानून से संबंधित मुद्दों को देखने की कोई शक्ति नहीं है. चीफ जस्टिस ने एजी से पूछा, वन्यजीव संबंधी मुद्दों को NGT को क्यों नहीं सौंपा जाना चाहिए. एजी ने कहा कि वह इसे सरकार को बताएंगे. जनवरी 2021 के दूसरे सप्ताह में इस मामले की सुनवाई होगी.
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