संजीव भट्ट (फाइल फोटो)
अहमदाबाद:
गुजरात के निलंबित IPS अधिकारी संजीव भट्ट को बर्ख़ास्त कर दिया गया है। संजीव काफी लंबे वक़्त से सस्पेंड चल रहे थे। उन पर बिना इजाज़त लंबी छुट्टी लेने के कारण यह कार्रवाई की गई है। संजीव भट्ट की पहचान गुजरात सरकार के साथ 2002 के दंगों को लेकर भिड़ने वाले अफसर के रूप में रही है।
कहा जाता है कि गुजरात के जूनागढ़ में चौकी नामक जगह पर संजीव डीआईजी के पद पर तैनात थे। यहां वे स्टेट रिजर्व पुलिस के प्रिंसिपल के तौर इनकी पोस्टिंग थी। 2013 में संजीव को चार्जशीट दी गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि
- जहां पोस्टिंग थी, वहां ये नहीं रहे।
- मैन पावर का गलत प्रयोग और वहां तैनात लोगों का प्रयोग अहमदाबाद के घर पर किया।
- सरकारी हथियार उन्होंने वापस नहीं किया।
भट ने कहा कि उन्हें सेवा से 'अनाधिकृत रूप से गैर हाजिर' रहने के संबंध में 'दिखावटी जांच' के आधार पर बर्खास्त किया गया। अनाधिकृत रूप से गैर हाजिर रहने का यह वह समय था जब वह 2002 के दंगों की जांच कर रही एसआईटी के सामने गवाही देने के लिए अहमदाबाद आए थे।
भट ने कहा, 'वे (सरकार) दिखावटी जांच कर रहे थे। ड्यूटी से अनाधिकृत रूप से गैर हाजिर रहने के बारे में एकतरफा जांच।' यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देंगे, भट्ट ने कहा कि वह खुद को सरकार पर थोपना नहीं चाहते।
उन्होंने कहा, 'काफी कुछ किया जा सकता है (इस कदम के खिलाफ) लेकिन क्या यह चुनौती देने लायक है? सरकार मुझे नहीं चाहती तो मुझे ऐसी क्या पड़ी है कि मैं इसमें रहना चाहूं।' भट्ट ने कहा, 'मैं एक जुनून के साथ पुलिस की नौकरी में आया था, अब ऐसा लगता है कि देश और इस सरकार को मेरी जरूरत नहीं है। इसलिए जो भी हुआ अच्छा हुआ। मैं खुद को सरकार पर थोप नहीं सकता।'
2013 में भी इन्हीं आरोपों के साथ केंद्र सरकार के पास फाइल आई थी, लेकिन गृहमंत्रालय ने फाइल कुछ सवालों के साथ वापस भेज दी थी। लेकिन अब सरकारें बदल चुकी हैं और फिर फाइल राज्य की ओर से भेजी गई जिस पर उनकी बर्खास्गी की कार्रवाई की गई।
1988 बैच के आईपीएस अधिकारी भट्ट साल 2011 से ही सेवा से अनाधिकृत रूप से गैर हाजिर रहने को लेकर निलंबित थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2002 में गोधरा में ट्रेन अग्निकांड के बाद शीर्ष पुलिस अधिकारियों से कहा था कि वे हिंदुओं को 'अपना गुस्सा निकाल लेने दें।'
भट्ट ने दावा किया था कि उन्होंने इस संबंध में 27 फरवरी 2002 को गांधीनगर में मोदी के आवास पर एक बैठक में भाग लिया था। हाल ही में गुजरात सरकार ने एक वीडियो को लेकर भट को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। वीडियो में भट एक महिला के साथ दिख रहे हैं। सरकार ने कथित रूप से विवाहेत्तर संबंधों को लेकर भट्ट से जवाब मांगा था। भट्ट ने इस बात से इंकार किया था कि वीडियो में जो आदमी दिखाई दे रहा है, वह वे स्वयं हैं।
निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को एक वीडियो क्लिप के आधार पर 'कारण बताओ नोटिस' जारी करते हुए एक अज्ञात महिला के साथ उनके कथित 'अवैध संबंध' को स्पष्ट करने के लिए कहा गया था। भट्ट ने इस आरोप से इनकार किया।
गुजरात के गृह विभाग की ओर से 14 अगस्त को भट्ट को भेजे गए नोटिस के साथ ऐसी जानकारी मिली कि उन्हें एक वीडियो सीडी भी भेजी गई थी। 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी 2011 से निलंबित चल रहे थे।
नोटिस में उल्लेख किया गया था कि कथित क्लिप की राज्य के डायरेक्टोरेट ऑफ फोरेंसिक साइंस (डीएफएस) के तहत आने वाले फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) द्वारा जांच की गई है। एफएसएल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीडी प्रामाणिक है और उससे कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।
सीडी के साथ नोटिस मिलने के बाद भट्ट ने अपने जवाब में कहा है कि सीडी में दिख रहा व्यक्ति वह नहीं हैं। उन्होंने यह जवाब 15 अगस्त को भेजा है। उन्होंने कहा, 'मैंने अपना जवाब 15 अगस्त को गृह विभाग को भेज दिया है। मैंने उन्हें बताया कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति वह नहीं हैं लेकिन उसका चेहरा उनसे मिलता है।' उन्होंने एफएसएल के निष्कर्षों पर भी सवाल खड़े किए, जिसका उल्लेख गृह विभाग ने उन्हें भेजे गए नोटिस में किया है।
भट्ट ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि एफएसएफ जांच के परिणाम मोटे तौर पर अपर्याप्त तुलनात्मक डेटा पर आधारित हैं जिसमें मेरे और कथित वीडियो क्लिप में दिखायी देने वाले व्यक्ति के बीच सकारात्मक मेल होने की बात कही गई है।' उन्होंने किसी भी संदेह को दूर करने के लिए एक विस्तृत एवं वैज्ञानिक जांच का अनुरोध किया।
कहा जाता है कि गुजरात के जूनागढ़ में चौकी नामक जगह पर संजीव डीआईजी के पद पर तैनात थे। यहां वे स्टेट रिजर्व पुलिस के प्रिंसिपल के तौर इनकी पोस्टिंग थी। 2013 में संजीव को चार्जशीट दी गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि
- जहां पोस्टिंग थी, वहां ये नहीं रहे।
- मैन पावर का गलत प्रयोग और वहां तैनात लोगों का प्रयोग अहमदाबाद के घर पर किया।
- सरकारी हथियार उन्होंने वापस नहीं किया।
Finally removed from service today after serving 27 years in the Indian Police Service. Once again eligible for employment. :) Any takers?
— Sanjiv Bhatt IPS (@sanjivbhatt) August 19, 2015
भट्ट ने सोमवार शाम बताया, 'हां, यह सही है कि मेरी सेवाएं बर्खास्त कर दी गई हैं। इसकी उम्मीद थी। वे पूरी तरह से एकतरफा जांच कर रहे थे। मुझे उनसे (गृह मंत्रालय) बर्खास्तगी का पत्र मिला।' गुजरात के मुख्य सचिव जी.आर. अलोरिया ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया, 'संजीव भट की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।'भट ने कहा कि उन्हें सेवा से 'अनाधिकृत रूप से गैर हाजिर' रहने के संबंध में 'दिखावटी जांच' के आधार पर बर्खास्त किया गया। अनाधिकृत रूप से गैर हाजिर रहने का यह वह समय था जब वह 2002 के दंगों की जांच कर रही एसआईटी के सामने गवाही देने के लिए अहमदाबाद आए थे।
भट ने कहा, 'वे (सरकार) दिखावटी जांच कर रहे थे। ड्यूटी से अनाधिकृत रूप से गैर हाजिर रहने के बारे में एकतरफा जांच।' यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देंगे, भट्ट ने कहा कि वह खुद को सरकार पर थोपना नहीं चाहते।
उन्होंने कहा, 'काफी कुछ किया जा सकता है (इस कदम के खिलाफ) लेकिन क्या यह चुनौती देने लायक है? सरकार मुझे नहीं चाहती तो मुझे ऐसी क्या पड़ी है कि मैं इसमें रहना चाहूं।' भट्ट ने कहा, 'मैं एक जुनून के साथ पुलिस की नौकरी में आया था, अब ऐसा लगता है कि देश और इस सरकार को मेरी जरूरत नहीं है। इसलिए जो भी हुआ अच्छा हुआ। मैं खुद को सरकार पर थोप नहीं सकता।'
2013 में भी इन्हीं आरोपों के साथ केंद्र सरकार के पास फाइल आई थी, लेकिन गृहमंत्रालय ने फाइल कुछ सवालों के साथ वापस भेज दी थी। लेकिन अब सरकारें बदल चुकी हैं और फिर फाइल राज्य की ओर से भेजी गई जिस पर उनकी बर्खास्गी की कार्रवाई की गई।
1988 बैच के आईपीएस अधिकारी भट्ट साल 2011 से ही सेवा से अनाधिकृत रूप से गैर हाजिर रहने को लेकर निलंबित थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2002 में गोधरा में ट्रेन अग्निकांड के बाद शीर्ष पुलिस अधिकारियों से कहा था कि वे हिंदुओं को 'अपना गुस्सा निकाल लेने दें।'
भट्ट ने दावा किया था कि उन्होंने इस संबंध में 27 फरवरी 2002 को गांधीनगर में मोदी के आवास पर एक बैठक में भाग लिया था। हाल ही में गुजरात सरकार ने एक वीडियो को लेकर भट को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। वीडियो में भट एक महिला के साथ दिख रहे हैं। सरकार ने कथित रूप से विवाहेत्तर संबंधों को लेकर भट्ट से जवाब मांगा था। भट्ट ने इस बात से इंकार किया था कि वीडियो में जो आदमी दिखाई दे रहा है, वह वे स्वयं हैं।
निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को एक वीडियो क्लिप के आधार पर 'कारण बताओ नोटिस' जारी करते हुए एक अज्ञात महिला के साथ उनके कथित 'अवैध संबंध' को स्पष्ट करने के लिए कहा गया था। भट्ट ने इस आरोप से इनकार किया।
गुजरात के गृह विभाग की ओर से 14 अगस्त को भट्ट को भेजे गए नोटिस के साथ ऐसी जानकारी मिली कि उन्हें एक वीडियो सीडी भी भेजी गई थी। 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी 2011 से निलंबित चल रहे थे।
नोटिस में उल्लेख किया गया था कि कथित क्लिप की राज्य के डायरेक्टोरेट ऑफ फोरेंसिक साइंस (डीएफएस) के तहत आने वाले फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) द्वारा जांच की गई है। एफएसएल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीडी प्रामाणिक है और उससे कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।
सीडी के साथ नोटिस मिलने के बाद भट्ट ने अपने जवाब में कहा है कि सीडी में दिख रहा व्यक्ति वह नहीं हैं। उन्होंने यह जवाब 15 अगस्त को भेजा है। उन्होंने कहा, 'मैंने अपना जवाब 15 अगस्त को गृह विभाग को भेज दिया है। मैंने उन्हें बताया कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति वह नहीं हैं लेकिन उसका चेहरा उनसे मिलता है।' उन्होंने एफएसएल के निष्कर्षों पर भी सवाल खड़े किए, जिसका उल्लेख गृह विभाग ने उन्हें भेजे गए नोटिस में किया है।
भट्ट ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि एफएसएफ जांच के परिणाम मोटे तौर पर अपर्याप्त तुलनात्मक डेटा पर आधारित हैं जिसमें मेरे और कथित वीडियो क्लिप में दिखायी देने वाले व्यक्ति के बीच सकारात्मक मेल होने की बात कही गई है।' उन्होंने किसी भी संदेह को दूर करने के लिए एक विस्तृत एवं वैज्ञानिक जांच का अनुरोध किया।
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