राजनीतिक दलों को चंदा देने से संबंधित चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रावर को अपना फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि फिलहाल चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगाई जाए या फिर चंदा देने वाले की पहचान सार्वजनिक करने के आदेश दिए जाएं. केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा है कि वह चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर आदेश पारित नहीं करे.
केंद्र ने कोर्ट से आग्रह किया कि न्यायालय को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और चुनाव प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस मुद्दे पर निर्णय लेना चाहिए. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र के लिए बहस करते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड राजनीतिक दान के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम है.
एजी का कहना है कि चुनावी बांड से पहले, अधिकांश दान नकद के माध्यम से किए गए थे, जिससे बेहिसाब धन चुनाव में डाले गए थे.इलेक्टोरल बॉन्ड सुनिश्चित करते हैं कि भुगतान केवल चेक, ड्राफ्ट और प्रत्यक्ष डेबिट के माध्यम से किया जाता है. कोई भी काला धन चुनाव में नहीं लगाया जा सकता. वहीं चुनाव आयोग ने कहा है कि वो इस संबंध में एक पारदर्शी व्यवस्था चाहता है और चुनावी बॉन्ड पारदर्शी नहीं है.
याचिकाकर्ता ADR ने तुरंत इस योजना पर रोक लगाने की मांग की है. 2 जनवरी, 2018 को केंद्र ने चुनावी बॉन्ड के लिए योजना को अधिसूचित किया था जो कि एक भारतीय नागरिक या भारत में निगमित निकाय द्वारा खरीदे जा सकते हैं. ये बॉन्ड एक अधिकृत बैंक से ही खरीदे जा सकते हैं और राजनीतिक पार्टी को जारी किए जा सकते हैं. पार्टी 15 दिनों के भीतर बॉन्ड को भुना सकती है. दाता की पहचान केवल उसी बैंक को होगी जिसे गुमनाम रखा जाएगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं