अयोध्या केस : सुप्रीम कोर्ट में 'भूमि विवाद' की तरह चलेगा मामला, 14 मार्च को होगी अगली सुनवाई

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि वह इस विवाद को 'जमीन विवाद' के तौर पर देखेंगे, आस्था के विषय के रूप में नहीं देखेंगे.

अयोध्या केस : सुप्रीम कोर्ट में 'भूमि विवाद' की तरह चलेगा मामला, 14 मार्च को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई टली, अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी (प्रतीकात्मक फोटो)

खास बातें

  • अयोध्या मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई
  • कोर्ट ने मामले की सुनवाई टाल दी
  • अब इस पर 14 मार्च को होगी सुनवाई
नयी दिल्ली:

अयोध्या विवाद पर अगली सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च की तारीख़ तय कर दी है. सभी पक्षों की तरफ से ज़रूरी कागज़ी कार्रवाई पूरी होने के बाद आज तीन जजों की बेंच बैठी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सभी को वक्त देते हुए कहा था कि सभी पक्ष तैयार होकर आएं, अब सुनवाई नहीं टाली जाएगी. 

वहीं, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि वह इस विवाद को 'जमीन विवाद' के तौर पर देखेंगे, आस्था के विषय के रूप में नहीं देखेंगे. कोर्ट ने कहा कि कोई नया पक्षकार इस मामले में और नहीं जोड़ा जाएगा. कोर्ट ने सभी पक्षों को दो हफ्ते में दस्तावेज तैयार करने का आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी. साथ ही पीठ ने यह स्पष्ट किया कि उसका इरादा इस मामले को कभी भी रोजाना सुनने का नहीं रहा है. आज की सुनवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही थी क्योंकि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा अन्य की इस दलील को खारिज किया था कि याचिकाओं पर अगले आम चुनावों के बाद सुनवाई हो. 

इस पीठ ने पिछले साल पांच दिसंबर को स्पष्ट किया था कि वह 8 फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी और उसने पक्षों से इस बीच जरूरी संबंधित कानूनी कागजात सौंपने को कहा था.

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वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने कहा था कि दीवानी अपीलों को या तो पांच या सात न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा जाए या इसे इसकी संवेदनशील प्रकृति तथा देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने और राजतंत्र पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए 2019 के लिए रखा जाए.

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शीर्ष अदालत ने भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 दीवानी अपीलों से जुड़े एडवोकेट ऑन रिकार्ड से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी जरूरी दस्तावेजों को शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को सौंपा जाए.

इनपुट : एजेंसी


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