बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने की आज 28वीं बरसी, जानें- पूरा घटनाक्रम, कब क्या हुआ?

Babri Masjid Demolition: 6 दिसंबर को मुस्लिम समुदाय काला दिवस के तौर पर मनाता है, जबकि हिंदू समुदाय इसे शौर्य दिवस के तौर पर मनाता है. इस लिहाज से आज अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. राम जन्मभूमि जाने वाले सभी रास्ते सील कर दिए गए हैं.

बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने की आज 28वीं बरसी, जानें- पूरा घटनाक्रम, कब क्या हुआ?

28th Anniversary of Babri Masjid Demolition: 6 दिसंबर को मुस्लिम समुदाय काला दिवस के तौर पर मनाता है, जबकि हिंदू समुदाय इसे शौर्य दिवस के तौर पर मनाता है. इस लिहाज से आज अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.

नई दिल्ली:

अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराए जाने (Babri Masjid Demolition) की आज 28वीं बरसी है. 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया था. इस मामले में करीब 28 साल तक हुए कानूनी उतार-चढ़ाव के बाद इसी साल 30 सितंबर को सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए ढांचा गिराने के सभी आरोपियों का बाइज्जत बरी कर दिया था. 6 दिसंबर को मुस्लिम समुदाय काला दिवस के तौर पर मनाता है, जबकि हिंदू समुदाय इसे शौर्य दिवस के तौर पर मनाता है. इस लिहाज से आज अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. राम जन्मभूमि जाने वाले सभी रास्ते सील कर दिए गए हैं.

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से संबंधित घटनाओं का क्रमवार विवरण इस प्रकार है :

1528: मुगल बादशाह बाबर के कमांडर मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया.

1885: महंत रघुवीर दास ने विवादित स्थल के बाहर तंबू लगाने की इजाजत देने के लिए फैजाबाद जिला अदालत में अर्जी दाखिल की. न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया.

1949: बाबरी मस्जिद के मध्य गुंबद के ठीक नीचे राम लला की मूर्तियां रख दी गयीं.

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1950: गोपाल विशारद ने रामलला की पूजा का अधिकार हासिल करने के लिए फैजाबाद जिला अदालत में वाद दायर किया. परमहंस रामचंद्र दास ने मूर्तियां रखने और उनकी पूजा जारी रखने के सिलसिले में वाद प्रस्तुत किया.

1959: निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल पर कब्जा दिलाने के आग्रह के सिलसिले में वाद दायर किया.

1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने विवादित स्थल पर दावे का वाद दाखिल किया.

1 फरवरी 1986: स्थानीय अदालत ने सरकार को हिंदू श्रद्धालुओं के लिए विवादित स्थल को खोलने का आदेश दिया.

14 अगस्त 1989: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए.

6 दिसंबर 1992:- बाबरी मस्जिद ढहा दी गई.

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3 अप्रैल 1993: विवादित स्थल पर जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्र सरकार ने अयोध्या में अधिग्रहण संबंधी कानून पारित किया. इस कानून को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस्माइल फारुकी समेत कई वादियों ने वाद दायर किया.

24 अक्टूबर 1994: उच्चतम न्यायालय ने इस्माइल फारुकी मामले में कहा कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है.

अप्रैल 2002: उच्चतम न्यायालय ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक से जुड़े वाद की सुनवाई शुरू की.

13 मार्च 2003: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अधिग्रहीत जमीन पर किसी भी तरह की पूजा या इबादत संबंधी गतिविधि नहीं की जाएगी.

30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटने और उन्हें सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला को देने के आदेश दिए.

9 मई 2011: उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई.

21 मार्च 2017:  तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने सभी पक्षकारों को आपसी सुलह समझौते का सुझाव दिया.

19 अप्रैल 2017:  उच्चतम न्यायालय ने बाबरी विध्वंस मामले को लेकर रायबरेली की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही को लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) में स्थानांतरित कर दिया. साथ ही पूर्व में आरोप के स्तर पर बरी किये गये अभियुक्तों के खिलाफ भी मुकदमा चलाने का आदेश दिया.

30 मई 2017:  लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतम्भरा और विष्णु हरि डालमिया पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया.

31 मई 2017: बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अभियोजन की कार्यवाही शुरू हुई.

13 मार्च 2020: सीबीआई की गवाही की प्रक्रिया तथा बचाव पक्ष की जिरह भी हुई पूरी. मामले में 351 गवाह और 600 दस्तावेजी साक्ष्य सौंपे.

4 जून 2020: अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 113 के तहत अभियुक्तों के बयान दर्ज होना शुरू हुए.

14 अगस्त 2020: अदालत ने सीबीआई को लिखित बहस दाखिल करने का आदेश दिया.

31 अगस्त 2020: सभी अभियुक्तों की ओर से लिखित बहस दाखिल.

1 सितम्बर 2020: दोनों पक्षों की मौखिक बहस पूरी हुई.

16 सितम्बर 2020: अदालत ने 30 सितम्बर को अपना फैसला सुनाने का आदेश जारी किया. न्यायाधीश एस के यादव ने मामले के सभी अभियुक्तों को फैसला सुनाए जाने वाले दिन अदालत में हाजिर होने के निर्देश दिए.

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30 सितंबर, 2020: विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुनाया सभी 32 आरोपी बाइज्जत बरी हुए. अदालत ने कहा है कि बाबरी मस्जिद का गिराया जाना पूर्व-नियोजित षडयंत्र नहीं था.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)