2008 का मालेगांव ब्लास्ट मामले में प्रज्ञा सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी. बॉम्बे हाईकोर्ट की जमानत देने और मकोका प्रावधान हटाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में 2017 में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी. ब्लास्ट में मारे गए युवक के पिता की ओर से यह याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में हाईकोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए रोक लगाने की मांग की गई है. इसी साल 25 अप्रैल को 2008 के मालेगांव धमाका केस में बॉम्बे हाईकोर्ट से प्रज्ञा ठाकुर को जमानत मिल गई थी. हाईकोर्ट ने प्रज्ञा पर लगाई गई मकोका धारा को भी हटा दिया था. जिसके बाद मकोका के तहत जुटाए गए सबूत भी केस से निकाल दिए गए.
हालांकि इस मामले में कोर्ट ने कर्नल पुरोहित को जमानत देने से इनकार कर दिया था. हाईकोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर को 5 लाख रुपए की जमानत राशि और अपना पासपोर्ट NIA को जमा कराने और साथ ही ट्रायल कोर्ट में हर तारीख पर पेश होने के आदेश दिए थे. पीठ ने उसे सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और जब भी जरूरत हो एनआईए अदालत में रिपोर्ट करने का भी निर्देश दिया है.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पहली नजर में के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. 2008 में हुए मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और तकरीबन 100 लोग जख्मी हुए थे. 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था. प्रज्ञा पर भोपाल, फरीदाबाद की बैठक में धमाके की साजिश रचने के आरोप लगे थे. प्रज्ञा और पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया गया था.
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