
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब स्थापित करने के सरकार के फैसले के खिलाफ तृणमूल विधायक की याचिका पर केंद्र से दो हफ्ते में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने एजी केके वेणुगोपाल को कहा कि इस मामले में वह अदालत की सहायता करें.
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याचिकाकर्ता तृणमूल कांग्रेस की विधायक महुआ मोइत्रा का कहना है कि सोशल मीडिया की निगरानी के लिए केंद्र यह कार्यवाही कर रहा है. इसके बाद ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम व ईमेल में मौजूद हर डेटा तक केंद्र की पहुंच हो जाएगी. निजता के अधिकार का यह सरासर उल्लंघन है. इससे हर व्यक्ति की निजी जानकारी को भी सरकार खंगाल सकेगी. इससे जिला स्तर तक सरकार डेटा को खंगाल सकेगी.
गौरतलब है कि हाल ही में केंद्रीय मंत्रालय के तहत काम करने वाले पीएसयू ब्रॉडकास्ट कंसल्टेंट इंडिया लि. (बीईसीआइएल) ने एक टेंडर जारी किया है. इसमें एक सॉफ्टवेयर की आपूर्ति के लिए निविदाएं मांगी गई हैं. सरकार इसके तहत सोशल मीडिया के माध्यम से सूचनाओं को एकत्र करेगी. अनुबंध के आधार पर जिला स्तर पर काम करने वाले मीडिया कर्मियों के जरिए सरकार सोशल मीडिया की सूचनाओं को एकत्र करके देखेगी कि सरकारी योजनाओं पर लोगों का क्या रुख है.
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साथ ही समाचारों का रुझान किस तरफ है. लोग सरकार के फैसलों से कितना प्रभावित हो रहे हैं. वहीं, सरकार का तर्क है कि इससे उसे असली फीडबैक मिलेगा और फिर वह योजनाओं में तब्दीली करके उन्हें और ज्यादा जन उपयोगी बनाने का काम कर सकेगी.
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