बैंकों से लोन को लेकर डिफाल्टर हुए किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या द्वारा अदालत की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ही रजिस्ट्री से स्पष्टीकरण मांगा है कि मई 2017 के आदेश के खिलाफ माल्या की अपील अदालत के सामने लिस्ट क्यों नहीं की गई है ? कोर्ट ने रजिस्ट्री से उन अधिकारियों का नाम भी पूछा जो फाइल से निपटते हैं. माल्या की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने विचार किया. माल्या ने 2017 के उस फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिका दाखिल की है जिसमें उन्हें संपत्ति
की जानकारी छिपाने पर अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया था.
जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि माल्या की सजा पर फैसला प्रत्यर्पण के बाद होगा. केंद्र को कहा था कि जब माल्या को भारत लाया जाए तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाए. सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद माल्या कोर्ट में पेश नही हुए थे. इससे पहले 9 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना था क्योंकि उन्होंने संपत्ति का पूरा ब्योरा नहीं दिया. कोर्ट ने 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था.
दरअसल 9 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या के खिलाफ अदालत की अवमानना और डिएगो डील से माल्या को मिले 40 मिलियन यूएस डॉलर पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था. बैंकों ने मांग की है कि 40 मिलियन यूएस डॉलर जो डिएगो डील से मिले थे उनको सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराया जाए. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माल्या से पूछा था कि आपने जो कोर्ट में अपनी सम्पतियों के बारे में जानकारी दी थी वो सही है या नहीं ? क्या आपने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन तो नहीं किया ? क्योंकि कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि माल्या बिना कोर्ट के अनुमति कोई भी ट्रांजेक्शन नहीं कर सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि माल्या के खिलाफ कोर्ट के आदेश को कैसे लागू किया जा सकता है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या को वापस लाने की कोशिश की जा रही है. वहीं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि माल्या के ऊपर 9200 करोड़ रुपये का बकाया है. बैकों ने कहा- माल्या की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वह बार-बार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं.
विजय माल्या ने कोर्ट में कहा था कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे 9200 करोड़ रुपये बैंक के कर्ज़ को अदा कर पाएं, क्योंकि उनकी सभी सम्पतियों को पहले ही जब्त कर लिया गया है. अब कोर्ट ने दो हफ्ते में जवाब मांगा है.
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