नई दिल्ली:
नीलगाय, बंदर और जंगली भालू को मारने के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 15 जुलाई तक टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने नीलगाय को मारने पर फिलहाल रोक लगाने से इंकार कर दिया है। इस मामले पर गौरी मुलेखी और कुछ गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा है कि बिहार, हिमाचल और उत्तराखंड में नीलगाय, बंदर और जंगली भालू को हिंसक जानवर घोषित करके लोगों को नुकसान पहुंचाने के नाम पर मारा जा रहा है। इस पर रोक लगानी चाहिए। याचिका में केंद्र के 2015 के नोटिफिकेशन को गैरकानूनी बताया गया है और रोक लगाने की मांग की है जिसके तहत इन जानवरों को मारा जा रहा है।
नोटिफिकेशन मनमाना है
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को केंद्र सरकार को ज्ञापन देने के लिए कहा है। कोर्ट ने केंद्र को दो हफ्ते के भीतर इस पर फैसला लेने के निर्देश दिए है। याचिकाकर्ता ने फिलहास सुप्रीम कोर्ट से जानवरों के मारने पर रोक लगाने की मांग की थी। उनका कहना था कि केंद्र ने ये नोटिफिकेशन जारी करने से पहले नियमों का पालन नहीं किया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो भी तथ्य याचिका में दिए गए हैं, उन्हें ज्ञापन के तौर पर केंद्र को दिया जाए। वहीं पशु कल्याण बोर्ड ने भी केंद्र के नोटिफिकेशन पर एतराज जताया और कहा कि जानवरों को मारने का यह नोटिफिकेशन मनमाना है और बिना किसी स्टडी का है।
नोटिफिकेशन मनमाना है
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को केंद्र सरकार को ज्ञापन देने के लिए कहा है। कोर्ट ने केंद्र को दो हफ्ते के भीतर इस पर फैसला लेने के निर्देश दिए है। याचिकाकर्ता ने फिलहास सुप्रीम कोर्ट से जानवरों के मारने पर रोक लगाने की मांग की थी। उनका कहना था कि केंद्र ने ये नोटिफिकेशन जारी करने से पहले नियमों का पालन नहीं किया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो भी तथ्य याचिका में दिए गए हैं, उन्हें ज्ञापन के तौर पर केंद्र को दिया जाए। वहीं पशु कल्याण बोर्ड ने भी केंद्र के नोटिफिकेशन पर एतराज जताया और कहा कि जानवरों को मारने का यह नोटिफिकेशन मनमाना है और बिना किसी स्टडी का है।
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