फाइल फोटो
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट एक और कदम बढ़ा है. कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग से पारदर्शिता बढ़ेगी और ये ओपन कोर्ट का सही सिद्धांत होगा. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अयोध्या और आरक्षण जैसे मुद्दों की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं होगी. हालांकि राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम खुली अदालत को लागू कर रहे हैं. ये तकनीक के दिन हैं हमें पॉजीटिव सोचना चाहिए और देखना चाहिए कि दुनिया कहां जा रही है. कोर्ट में जो सुनवाई होती है वेबसाइट उसे कुछ देर बाद ही बताती है. इसमें कोर्ट की टिप्पणी भी होती है. साफ है कि तकनीक उपलब्ध है. हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
अदालतों में सुनवाई का हो सकता है सीधा प्रसारण, कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला रखा सुरक्षित
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में गाइडलाइन भी दाखिल की है. इसके मुताबिक लाइव स्ट्रीमिंग पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर चीफ जस्टिस की कोर्ट से ही प्रसारण शुरू हो. इसमें संवैधानिक मुद्दे और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे शामिल हों. वैवाहिक विवाद, नाबालिगों से जुड़े मामले, राष्ट्रीय सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द से जुड़े मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग न हो. लाइव स्ट्रीमिंग के लिए एक मीडिया रूम बनाया जा सकता है जिसे याचिकाकर्ता , पत्रकार और वकील इस्तेमाल कर सकें. इससे कोर्टरूम की भीड़-भाड़ कम होगी. एक बार कोर्ट गाइडलाइन फ्रेम करे, फिर सरकार फंड रिलीज करेगी.
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सुनवाई के दौरान एक वकील ने इसका विरोध भी किया है. उससे कोर्ट की टिप्पणियों की गलत व्याख्या करने का खतरा बढ़ जाएगा. वहीं एक वकील ने कहा कि इससे याचिकाकर्ता को पता चल जाएगा कि कैसे सेकंडों में उसका केस खारिज कर दिया गया. जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि एक केस को पढ़ने में जज कितना वक्त लेते हैं ये देखने कोई उनके घर नहीं जाता.
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केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में गाइडलाइन भी दाखिल की है. इसके मुताबिक लाइव स्ट्रीमिंग पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर चीफ जस्टिस की कोर्ट से ही प्रसारण शुरू हो. इसमें संवैधानिक मुद्दे और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे शामिल हों. वैवाहिक विवाद, नाबालिगों से जुड़े मामले, राष्ट्रीय सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द से जुड़े मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग न हो. लाइव स्ट्रीमिंग के लिए एक मीडिया रूम बनाया जा सकता है जिसे याचिकाकर्ता , पत्रकार और वकील इस्तेमाल कर सकें. इससे कोर्टरूम की भीड़-भाड़ कम होगी. एक बार कोर्ट गाइडलाइन फ्रेम करे, फिर सरकार फंड रिलीज करेगी.
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