यह ख़बर 05 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

किसी को लापता बच्चों की फिक्र नहीं : सुप्रीम कोर्ट

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट ने लापता बच्चों के मुद्दे पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने में विफल पर आज केंद्र और राज्य सरकारों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि किसी को बच्चों की चिंता नहीं है।
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने लापता बच्चों के मुद्दे पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने में विफल पर आज केंद्र और राज्य सरकारों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि किसी को बच्चों की चिंता नहीं है।

शीर्ष अदालत ने न्यायालय के समक्ष हाजिर होने के न्यायिक आदेश का पालन नहीं करने के कारण अरूणाचल प्रदेश, गुजरात तथा तमिलनाडु के मुख्य सचिवों को भी आड़े हाथ लिया और कहा कि वे ‘अदालत को मूर्ख बना रहे हैं’। न्यायालय ने इन सभी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने की धमकी है।

प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर, न्यायमूर्ति अनिल आर दवे और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने लापता बच्चों के मामले में हलफनामा दाखिल करने में विफल रहे केंद्र और राज्यों को अंतिम मौका देते हुए इस प्रकरण की सुनवाई 19 फरवरी के लिए स्थगित कर दी।

न्यायाधीशों ने कहा,  लापता बच्चों के बारे में लगता है कि किसी को चिंता नहीं है। यह विडम्बना है। न्यायाधीशों ने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब बचपन बचाओ आन्दोलन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने कहा कि रोजाना सैकड़ों बच्चे लापता हो रहे हैं।

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इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायाधीशों को सूचित किया गया कि न्यायिक आदेश के बावजूद अरूणाचल प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु के मुख्य सचिव न्यायालय में हाजिर नहीं हैं। मुख्य सचिवों के इस रवैये पर न्यायाधीशों ने नाराजगी व्यक्त की।