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This Article is From Sep 04, 2020

MP: जिला जज यौन उत्पीड़न मामले में बोले CJI- जजों के खिलाफ शिकायत की परम्परा बन गई है

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जिला जज के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने MP हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया है.

MP: जिला जज यौन उत्पीड़न मामले में बोले CJI- जजों के खिलाफ शिकायत की परम्परा बन गई है
SC ने MP हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया है. (फाइल फोटो)
Quick Take
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जिला जज यौन उत्पीड़न मामला
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
एमपी हाईकोर्ट को भेजा नोटिस
नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जिला जज के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने MP हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया है. शीर्ष अदालत ने जज के खिलाफ कार्रवाई पर भी रोक लगाई है. इसी साल जिला जज सेवानिवृत्त होने वाले हैं. सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) एस.ए. बोबडे (SA Bobde) ने कहा कि उन जजों के खिलाफ शिकायत करने की एक परम्परा सी बन गई है जो पदोन्नति के कगार पर हैं. यह अब बहुत बार हो रहा है. जब कोई व्यक्ति पदोन्नति के कगार पर होता है, तो वह एक बुरा आदमी बन जाता है, अन्यथा वह अच्छा होता है.

बता दें कि शीर्ष अदालत मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ जिला न्यायाधीश की अपील पर सुनवाई कर रही है, जिनके खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज की गई. जज की ओर से वरिष्ठ वकील कर्नल आर बालासुब्रमण्यम ने अदालत को बताया कि उन्हें नोटिस दिए बिना हाईकोर्ट के आदेश पर एक जिला न्यायाधीश द्वारा जांच की गई, जिसमें उन्हें दोषी पाया गया लेकिन जब रिपोर्ट जेंडर सेंसेटाइजेशन कमेटी को भेजी गई, तो शिकायतकर्ता महिला जिला जज बार-बार याद दिलाने के बावजूद सबूत पेश करने नहीं आईं.

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वकील ने कहा कि कमेटी ने यह नहीं कहा कि जज दोषी हैं लेकिन कहा कि शिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता के बीच कुछ व्हाट्सएप मैसेज की वजह से विवाद हुआ और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए. जज की ओर से कहा कि उन्होंने 34 साल तक काम किया है और अब शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है जबकि उनकी पदोन्नति पर भी विचार चल रहा था.

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सुनवाई के दौरान CJI ने कहा, 'क्या करें? अचानक लोग शिकायत करने लगते हैं कि वह एक बुरा आदमी है.' दरअसल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जज ने याचिका दाखिल की है. उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. 2018 में एक महिला मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी.

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