प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर यौन अपराध के वीडियो साझा करने और साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिये दायर याचिका पर सोमवार को गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, याहू और फेसबुक से जवाब तलब किये.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने इन कंपनियों को नोटिस जारी किये. इन सभी को अगले साल नौ जनवरी तक नोटिस का जवाब देना है.
गैर सरकारी संगठन प्रज्वला की ओर से वकील अपर्णा भट ने न्यायालय में कहा कि बलात्कार के वीडियो बनाने के बाद इन्हें सोशल नेटवर्किंग साइट पर पोस्ट किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में इंटरनेट कंपनियों को इस तरह के साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिये उचित कदम उठाने चाहिए.
केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह ने न्यायालय को इस संबंध में गृह मंत्रालय और केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा किये गये उपायों की जानकारी दी. केन्द्रीय जांच ब्यूरो ही साइबर अपराध के लिये नोडल एजेंसी है. उन्होंने कहा कि यौन अपराधियों के नाम सार्वजनिक करने के सवाल पर भारत और विदेशों में बहस जारी है और इस संबंध में लिये जाने वाले निर्णय पर अमल किया जायेगा.
इस पर पीठ ने कहा कि यदि यौन अपराधियों के नाम सार्वजनिक किये जाने हैं तो ऐसा मामला दर्ज करने के बाद नहीं बल्कि सिर्फ इस अपराध के लिये दोषी ठहराये जाने के बाद ही होना चाहिए क्योंकि अगर यह व्यक्ति बाद में बरी हो जाता है तो भी नाम सार्वजनिक हो जाने पर उसकी छवि खराब हो जायेगी.
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि यदि राज्य पुलिस को यौन अपराध के मामले में जांच के बाद आरोपी के खिलाफ कुछ नहीं मिला तो सीबीआई संबंधित अपराध से जुड़े साइबर अपराध के पहलू के बारे में उससे पूछताछ नहीं करेगी. यही नहीं, न्यायालय ने महिलाओं के प्रति अपराध पर अंकुश के लिये किये जा रहे उपायों की सूची में ही बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा पर नियंत्रण के उपायों को भी शामिल करने का केन्द्र को निर्देश दिया.
न्यायालय ने कहा, ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार बच्चों के प्रति यौन हिंसा के मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है.’ न्यायालय हैदराबाद स्थित गैर सरकारी संगठन प्रज्वला द्वारा तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू को भेजे गये पत्र पर सुनवाई कर रहा था. इस पत्र के साथ एक पेन ड्राइव में बलात्कार के दो वीडियो भी भेजे गये थे. न्यायालय ने इस पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुये केन्द्रीय जांच ब्यूरो को इन अपराधियों को पकड़ने के लिये इन घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने इन कंपनियों को नोटिस जारी किये. इन सभी को अगले साल नौ जनवरी तक नोटिस का जवाब देना है.
गैर सरकारी संगठन प्रज्वला की ओर से वकील अपर्णा भट ने न्यायालय में कहा कि बलात्कार के वीडियो बनाने के बाद इन्हें सोशल नेटवर्किंग साइट पर पोस्ट किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में इंटरनेट कंपनियों को इस तरह के साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिये उचित कदम उठाने चाहिए.
केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह ने न्यायालय को इस संबंध में गृह मंत्रालय और केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा किये गये उपायों की जानकारी दी. केन्द्रीय जांच ब्यूरो ही साइबर अपराध के लिये नोडल एजेंसी है. उन्होंने कहा कि यौन अपराधियों के नाम सार्वजनिक करने के सवाल पर भारत और विदेशों में बहस जारी है और इस संबंध में लिये जाने वाले निर्णय पर अमल किया जायेगा.
इस पर पीठ ने कहा कि यदि यौन अपराधियों के नाम सार्वजनिक किये जाने हैं तो ऐसा मामला दर्ज करने के बाद नहीं बल्कि सिर्फ इस अपराध के लिये दोषी ठहराये जाने के बाद ही होना चाहिए क्योंकि अगर यह व्यक्ति बाद में बरी हो जाता है तो भी नाम सार्वजनिक हो जाने पर उसकी छवि खराब हो जायेगी.
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि यदि राज्य पुलिस को यौन अपराध के मामले में जांच के बाद आरोपी के खिलाफ कुछ नहीं मिला तो सीबीआई संबंधित अपराध से जुड़े साइबर अपराध के पहलू के बारे में उससे पूछताछ नहीं करेगी. यही नहीं, न्यायालय ने महिलाओं के प्रति अपराध पर अंकुश के लिये किये जा रहे उपायों की सूची में ही बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा पर नियंत्रण के उपायों को भी शामिल करने का केन्द्र को निर्देश दिया.
न्यायालय ने कहा, ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार बच्चों के प्रति यौन हिंसा के मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है.’ न्यायालय हैदराबाद स्थित गैर सरकारी संगठन प्रज्वला द्वारा तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू को भेजे गये पत्र पर सुनवाई कर रहा था. इस पत्र के साथ एक पेन ड्राइव में बलात्कार के दो वीडियो भी भेजे गये थे. न्यायालय ने इस पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुये केन्द्रीय जांच ब्यूरो को इन अपराधियों को पकड़ने के लिये इन घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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