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This Article is From Jan 09, 2018

केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या सजा-ए-मौत में फांसी के अलावा कोई और विकल्प हो सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या सजा-ए-मौत में फांसी के अलावा कोई वैकल्पिक तरीका भी हो सकता है.

केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या सजा-ए-मौत में फांसी के अलावा कोई और विकल्प हो सकता है?
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या सजा-ए-मौत में फांसी के अलावा कोई वैकल्पिक तरीका भी हो सकता है. मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि दूसरे देशों में मौत की सज़ा के लिये क्या-क्या तरीके अपनाये जाते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 4 और हफ्ते समय दिया. 

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पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधायिका सजा-ए-मौत के मामले में फांसी के अलावा कोई दूसरा तरीका भी तलाश सकता है, जिसमें मौत शांति में हो, पीड़ा में नहीं. सदियों से ये कहा जाता रहा है कि पेनलेस डेथ की कोई बराबरी नहीं. कोर्ट भी कहता आया है कि हमारा संविधान दयालु है जो जीवन की निर्मलता के सिद्धांत को मानता आया है. ऐसे में विज्ञान में आई तेजी के चलते मौत के दूसरे तरीके को तलाशा जाए.

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अटार्नी जनरल को केस में मदद करने के लिए कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि फांसी की जगह मौत की सजा के लिए किसी दूसरे विकल्प को अपनाया जाना चाहिए. फांसी को मौत का सबसे दर्दनाक और बर्बर तरीका बताते हुए जहर का इंजेक्शन लगाने, गोली मारने, गैस चैंबर या बिजली के झटके देने जैसी सजा देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है फांसी से मौत में 40 मिनट तक लगते हैं जबकि गोली मारने और इलेक्ट्रिक चेयर पर केवल कुछ मिनट.

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