जकिया जाफरी के पति अहसान जाफरी गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 69 लोगों में शामिल थे।
2002 में गुजरात दंगों के दौरान हुए गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले पर विशेष अदालत के फैसले ने कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी का नाम फिर सुर्खियों में ला दिया है। 2002 के दंगों के दौरान उन्मादी भीड़ ने गुलबर्ग सोसाइटी को घेरकर इसमें आग लगा दी थी, इसमें 73 वर्षीय एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें से 39 लोगों के शव तो बरामद हो गए थे जबकि 30 लापता लोगों को सात साल बाद मृत मान लिया गया था। गौरतलब है कि अयोध्या से कार सेवा कर लौट रहे साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों में गोधरा स्टेशन पर उपद्रवियों ने आग लगा दी थी जिससे 50 से अधिक लोग जिंदा जल गए थे। इस घटना के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे जिसमें गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार भी शामिल था।
कांग्रेस के भूतपूर्व सांसद एहसान छठी लोकसभा के सदस्य रहे। एक समय उनकी गिनती गुजरात में कांग्रेस के प्रभावी नेताओं में होती थी। पति की नृशंस हत्या के बाद एहसान की बुजुर्ग विधवा जकिया जाफरी ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। अपनी इस 'जंग' में जकिया को 2009 में तब बड़ी कामयाबी मिली जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए एसआईटी को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे।
गुलबर्ग मामले को लेकर जकिया ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन गुजरात सरकार पर इन दंगों को समर्थन देने का आरोप लगाया था। जकिया का कहना है कि उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी ने दंगों पर नियंत्रण करने के लिए सख्त कदम उठाए होते तो यह घटना नहीं होती। गुलबर्ग मामले में विशेष अदालत के फैसले से नाखुश जकिया और कुछ सामाजिक संगठनों ने ऊंची अदालत में इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है।
जकिया के अलावा उनकी बेटी नशरीन जाफरी हुसैन भी प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ काफी मुखर रही है। प्रधानमंत्री मोदी के सेल्फी विद डाटर अभियान के बाद निशरीन ने अपने पिता स्वर्गीय एहसान जाफरी के साथ अपनी फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की थी। अपने फेसबुक अकाउंट से पिता के साथ अपनी फोटो शेयर करते हुए निशरीन ने लिखा था- "SelfieWithDaughter : This one will haunt him for ever". गौरतलब है कि बेटियां बचाने के अभियान की शुरुआत करने के बाद पीएम मोदी ने लोगों से बेटी के साथ सेल्फी पोस्ट करने की अपील की थी।
कांग्रेस के भूतपूर्व सांसद एहसान छठी लोकसभा के सदस्य रहे। एक समय उनकी गिनती गुजरात में कांग्रेस के प्रभावी नेताओं में होती थी। पति की नृशंस हत्या के बाद एहसान की बुजुर्ग विधवा जकिया जाफरी ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। अपनी इस 'जंग' में जकिया को 2009 में तब बड़ी कामयाबी मिली जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए एसआईटी को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे।
गुलबर्ग मामले को लेकर जकिया ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन गुजरात सरकार पर इन दंगों को समर्थन देने का आरोप लगाया था। जकिया का कहना है कि उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी ने दंगों पर नियंत्रण करने के लिए सख्त कदम उठाए होते तो यह घटना नहीं होती। गुलबर्ग मामले में विशेष अदालत के फैसले से नाखुश जकिया और कुछ सामाजिक संगठनों ने ऊंची अदालत में इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है।
जकिया के अलावा उनकी बेटी नशरीन जाफरी हुसैन भी प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ काफी मुखर रही है। प्रधानमंत्री मोदी के सेल्फी विद डाटर अभियान के बाद निशरीन ने अपने पिता स्वर्गीय एहसान जाफरी के साथ अपनी फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की थी। अपने फेसबुक अकाउंट से पिता के साथ अपनी फोटो शेयर करते हुए निशरीन ने लिखा था- "SelfieWithDaughter : This one will haunt him for ever". गौरतलब है कि बेटियां बचाने के अभियान की शुरुआत करने के बाद पीएम मोदी ने लोगों से बेटी के साथ सेल्फी पोस्ट करने की अपील की थी।
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