
सीताराम येचुरी (फाइल फोटो)
भोपाल:
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव एवं राज्यसभा सदस्य सीताराम येचुरी ने संसदीय सत्रों में कामकाज के दिनों की संख्या कम होते जाने पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा कानून बनाने की जरूरत है जो सांसदों के लिए कम से कम 100 दिन की सक्रिय उपस्थिति को अनिवार्य बनाए. येचुरी ने कहा कि ऐसा करने पर ही सरकार की जवाबदेही तय होगी.
कम्युनिस्ट नेता शैलेन्द्र शैली की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला के अंतर्गत 'संवैधानिक मूल्यों पर खतरे और सिकुड़ता जनतंत्र' विषय पर येचुरी ने कल शाम यहां कहा, 'एक ऐसा क़ानून बनाने की ज़रूरत है जो कम से कम 100 दिन की सक्रिय उपस्थिति को सांसदों के लिए अनिवार्य करे. संसदीय कार्यवाहियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए आज बहुत जरूरी हो गया है कि संसदीय कार्यों के प्रति अरुचि व लापरवाही खत्म हो.
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उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में देश में 60—70 दिन प्रति वर्ष से अधिक संसद नहीं बैठी. ऐसे में सरकार की जवाबदेही कैसे होगी? उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में संसद एक साल में लगभग 200 दिन बैठती है.
VIDEO-येचरी के कार्यक्रम में हंगामा
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कम्युनिस्ट नेता शैलेन्द्र शैली की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला के अंतर्गत 'संवैधानिक मूल्यों पर खतरे और सिकुड़ता जनतंत्र' विषय पर येचुरी ने कल शाम यहां कहा, 'एक ऐसा क़ानून बनाने की ज़रूरत है जो कम से कम 100 दिन की सक्रिय उपस्थिति को सांसदों के लिए अनिवार्य करे. संसदीय कार्यवाहियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए आज बहुत जरूरी हो गया है कि संसदीय कार्यों के प्रति अरुचि व लापरवाही खत्म हो.
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उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में देश में 60—70 दिन प्रति वर्ष से अधिक संसद नहीं बैठी. ऐसे में सरकार की जवाबदेही कैसे होगी? उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में संसद एक साल में लगभग 200 दिन बैठती है.
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