गुजरात दंगों (Gujarat Riots) की जांच करने वाली एसआईटी (SIT) की रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट को चुनौती देने वाली ज़किया जाफरी की याचिकासुनवाई के दौरान जकिया के वकील कपिल सिब्बल ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ का बचाव किया. तीस्ता पर SIT और गुजरात सरकार ने लोगों की भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया था. कपिल सिब्बल ने कहा कि तीस्ता का आधार इस मामले में सह याचिकाकर्ता का है.एसआईटी और गुजरात सरकार ने तीस्ता को इस बात का जिम्मेदार ठहराया कि वे मामले की कड़ाही को उबलते रखना चाहती हैं. इसके लिए उन्होंने वो सब कुछ किया.
सिब्बल ने कहा कि तीस्ता की छवि बिगाड़ने की कोशिश की गई.जबकि तीस्ता ने अपना सारा करियर इन मुकदमों में चौपट कर लिया. सिब्बल ने कहा कि SIT ने अपनी रिपोर्ट में कहीं भी उन सवालों के जवाब नहीं दिए जो उन सबूतों को लेकर थे, जिनसे पूरी रिपोर्ट ही उलट जाती है. वो सिर्फ ये कहते रहे कि तीस्ता लगातार नफरत और विवादों की कड़ाही को उबलते रहने के लिए काम कर रही थी.
गुजरात दंगे और 1984: दोनों एक जैसे, कपिल सिब्बल ने जाकिया जाफरी केस की सुनवाई के दौरान कहा
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ के सामने इस मामले की सुनवाई चल रही है. इस मामले के तार अहमदाबाद की गुलबर्गा सोसायटी में सन 2002 के 28 फरवरी में हुए दंगों से जुड़े हैं.
यहां अपार्टमेंट में हुई आगजनी में कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 68 लोगों की मौत हो गई थी. SIT ने दंगों की जांच की थी. जांच के बाद तब के गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी गई.
अहमदाबाद सहित गुजरात के कई शहरों कस्बों में दंगे भड़के थे. दो दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में आग लगाई गई जिससे 59 लोग जिंदा जल गए थे. ये लोग अयोध्या से कारसेवा कर लौट रहे थे। दंगों के दस साल बाद 2012 में एसआईटी ने जांच रिपोर्ट दाखिल की.रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को क्लीन चिट दी गई थी. याचिका में इसी रिपोर्ट को चुनौती दी गई है और दंगों में बड़ी साजिश की जांच की मांग की गई है.
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