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This Article is From Sep 29, 2020

'शर्मनाक राजनीतिक नौटंकी' अमरिंदर सिंह के धरने को लेकर सुखबीर सिंह बादल की तीखी टिप्पणी

शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा खट्टर कलां में किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को 'शर्मनाक राजनीतिक नौटंकी' करार दिया.

'शर्मनाक राजनीतिक नौटंकी' अमरिंदर सिंह के धरने को लेकर सुखबीर सिंह बादल की तीखी टिप्पणी
सुखबीर सिंह बादल ने कैप्टन अमरिंदर पर जमकर निशाना साधा
चंडीगढ़:

शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा खट्टर कलां में किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को 'शर्मनाक राजनीतिक नौटंकी' करार दिया. बादल ने ट्विटर के माध्यम से कहा कि  "शहीद भगत सिंह स्मारक के लिए चर्चित खट्टर कलां में पंजाब के मुख्यमंत्री का धरना, शर्मनाक राजनीतिक नौटंकी है. यह बिलकुल अपमानजनक! उन्होंने कहा कि ये वही लोग थे जब वो ज़िंदा थे, तब  शहीद-ए-आज़म का विरोध करते थे. क्या अमरिंदर और कंपनी उनकी विचारधारा का कोई हिस्सा साझा करते हैं? या फिर यह केवल भावनाओं का ही शोषण कर रहे हैं,” 

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एक अन्य ट्वीट में बादल ने कहा कि पंजाब में किसानों के संघर्ष को मुख्यमंत्री द्वारा हिंसक हो जाने का दावा करना, कृषकों की शांतिपूर्ण कोशिश को कमजोर करने की साजिश है. उन्होंने कहा कि मैं पंजाब में भाजपा की इकाई समेत सभी राजनीतिक दल और संगठनों से निवेदन करता हूं कि किसानों को बचाने में मदद करें. बकौल बादल, कृषि अर्थव्यस्था को तेजी देने की जरूरत है और अकाली दल इस दिशा में हर संभव कोशिश करेगा. 

सुखबीर सिंह बादल ने कैप्टन अमरिंदर सिंह मांग की है कि "पंजाब को मंडी (PMY) घोषित करने के लिए तुरंत एक अध्यादेश जारी करना चाहिए ताकि नए किसान-विरोधी कृषि अधिनियमों को रोका जा सके. उन्हें कहा कि APMC अधिनियम को भी निरस्त करना चाहिए जो उन्होंने 2017 में राज्य में लागू किया था. 

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बता दें कि कृषि विधेयकों के विरोध में NDA से उसका सबसे पुराना सहयोगी अकाली दल अलग हो गया था. शिअद की ओर से जारी बयान में सुखबीर बादल ने कहा कि NDA से अलग होने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि केंद्र ने किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी सुनिश्चित करने से इनकार कर दिया है. वह पंजाबी, खासकर सिखों से जुड़े मुद्दों पर लगातार असंवेदनशीलता दिखा रही है, जिसका एक उदाहरण है जम्मू-कश्मीर में आधिकारिक भाषा श्रेणी से पंजाबी भाषा को बाहर करना.'' इससे पहले हरसिमरत कौर ने राजग से अलग होने के बारे में कहा कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने पंजाब की ओर से आंखें मूंद ली हैं. 

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