बिहार के दरभंगा में नवम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार सिंह की अदालत ने बुधवार को दस वर्षीय अबोध बालिका की निर्मम हत्या के जुर्म में सात महिलाओं को आजीवन सश्रम कारावास एवं अर्थदंड की सजा सुनाई है. हत्या की सभी अभियुक्तों के महिला होने के मद्देनजर अभियोजन पक्ष के संचालन का दायित्व महिला अपर लोक अभियोजक रेणु झा को सौंपा गया.
रेणु झा ने बताया कि 12 सितम्बर 2009 को हायाघाट थाना क्षेत्र के छतौना गांव के योगेन्द्र यादव ने अपने गांव की ही गोतिया (रिश्तेदार) सात महिलाओं के विरुद्ध अपनी बेटी की हत्या की प्राथमिकी थाने में दर्ज कराई थी. प्राथमिकी में अपनी दस वर्षीय पुत्री राजबंती को घेरकर लात-मुक्का एवं ठोस वस्तु से मारपीट करके जख्मी करने का आरोप लगाया गया था. मारपीट से अबोध बच्ची बेहोश हो गई थी. उसे बेहोशी की अवस्था में हॉस्पिटल ले जाया गया जहां डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.
इस मामले में अदालत में सुनवाई शुरू हुई. अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक रेणु झा ने हत्या के अभियुक्तों के विरुद्ध मुकदमा साबित करने के लिए दस गवाहों की गवाही कराई. वहीं बचाव पक्ष ने इस मामले में नौ गवाहों की गवाही कराई.
केस में बहस के पश्चात अदालत ने दस वर्षीय अबोध बच्ची की निर्मम तरीके से हत्या में छतौना गांव निवासी बुच्ची देवी, मुनर देवी, मनभोगिया देवी, सीता देवी, इन्दु देवी, चधुरन देवी एवं भुखली देवी को दफा 302 (हत्या) में आजीवन सश्रम कारावास, दस हजार रुपये अर्थदंड एवं दफा 147 आईपीसी में एक साल के कारावास की सजा सुनाई है.
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