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This Article is From Mar 31, 2017

हाईवे पर शराब बिक्री का मामला : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से फंस गया महाराष्ट्र सरकार का आदेश

हाईवे पर शराब बिक्री का मामला : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से फंस गया महाराष्ट्र सरकार का आदेश
हाईवे के आसपास शराब बिक्री पर पाबंदी बरकरार रखे जाने से महाराष्ट्र सरकार का आदेश फंस गया है.
मुंबई: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों के आसपास शराब बिक्री पर पाबंदी बरकरार रखने से महाराष्ट्र सरकार का आदेश फंस गया है. राज्य के गृह विभाग ने यह आदेश जारी किया था. जो मौजूदा स्थिति में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जा रहा है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा है कि, एक अप्रैल 2017 से देश के राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य के राजमार्गों से 500 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार से शराब की बिक्री नहीं होगी.

दरअसल, इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के गृहविभाग ने आनन-फानन में यह आदेश जारी किया था कि, राज्य सरकार के हाईवे के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार जारी प्रतिबंध लागू नहीं होंगे और इस वजह से बियर बार और रेस्तरां के लाइसेंस को रिन्यू किया जाए. अपने आदेश में महाराष्ट्र सरकार ने एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी द्वारा दी गई राय को आधार बनाया था. एजी ने केरल सरकार के मांगे जाने पर अपनी राय दी थी.

यह भी पढ़ें- राष्‍ट्रीय राजमार्गों और स्‍टेट हाईवे से सटे 500 मीटर के दायरे में अब नहीं बिकेगी शराब

ऐसे में शुक्रवार को जब सुप्रीम कोर्ट ने अपनी भूमिका में किसी भी प्रकार की रियायत से मनाही कर दी तो ऐसे में राज्य सरकार का वह आदेश कानूनी पचड़े में फंस गया है जिसमें राज्य राजमार्गों के पास बने बियर बार और रेस्तरां को छूट देने की बात कही गई है. राज्य कांग्रेस ने सरकार के गृह विभाग की जल्दबाजी पर सवाल उठाया है. प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा है कि सरकार की शराब को लेकर बनी हुई सक्रियता ही है कि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने से पहले ही वह लाइसेंस रिन्यू करवाने चली थी. उन्होंने दावा किया है कि यह होटल और रेस्तरां मालिकों के दबाव में लिया गया फैसला था. जो अब उलट पड़ गया है.

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